जबर्दस्त शक्ति व ऊर्जा देता है गायत्री मंत्र
गायत्री वेदमाता मानी गई है। वह ज्ञान या चेतना शक्ति मानी जाती है। ज्ञान शक्ति रूप चारों वेदों की उत्पत्ति भी गायत्री से ही मानी गई है। यही कारण है कि इस शक्ति का साकार रूप माता गायत्री के रूप में पूजनीय है।शास्त्रों के मुताबिक गायत्री उसे कहा जाता है जो इस शक्ति का गायन, ध्यान, स्मरण या जप करने वाले की त्राण यानी रक्षा करे। गायत्री की इसी महाशक्ति की उपासना के लिए गायत्री मंत्र का महत्व बताया गया है। गायत्री मंत्र को महामंत्र और सर्वश्रेष्ठ मंत्र बताया गया है। यह मंत्र है -
ॐ भूर्भुव: स्व: तत्सवितुर्वरेण्यं भर्गो देवस्य धीमहि धियो यो न: प्रचोदयात्॥
यहां जानते हैं गायत्री साधना व मंत्र जप के धार्मिक, व्यावहारिक व वैज्ञानिक लाभ -
धार्मिक दृष्टि से गायत्री महामंत्र के 24 अक्षर 24 देव शक्तियों का रूप है। जिनके स्मरण से तन, मन और विचारों के दोष दूर होकर जीवन में प्रेम, शांति, विवेक, आत्म बल आता है।
गायत्री के 24 अक्षरों का संबंध 24 तत्वों पृथ्वी, जल, तेज, वायु, आकाश, गंध, रस, रूप, स्पर्श, शब्द, वाक्य, पैर, मल, मूत्रेंद्रिय, त्वचा, आंख, कान, जीभ, नाक, मन, बुद्धि, अहंकार, चित्त और ज्ञान से माना गया है।
वैज्ञानिक नजरिए से इनका संबंध मानव शरीर की 24 ग्रंथियों से है। यही कारण है कि जब गायत्री मंत्र बोला जाता है, तब उसकी शब्द शक्ति और ऊर्जा शरीर के रग-रग में प्राणशक्ति का संचार करती है। जिससे शारीरिक अंग और कियाएं सही ढंग से काम करती है और खून शुद्ध होता है। जिससे गायत्री उपासक निरोग और ऊर्जावान बना रहता है।

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