अजवाइन दिन में खाना चाहिए रात को नहीं। जानिए क्यों

* मसाले ही औषधि: पुराने समय में भारत में रसोई घर के मसालों को ही औषधि कहा जाता था। वागभट्ट जी कहते हैं कि हमारा रसोई घर ही दुनिया का सबसे बड़ा औषधि केंद्र होता है। अब दुर्भाग्य से हम रसोई में जिनको मसाला कहते हैं। वहां मसाला कुछ नहीं होता, सब औषधि ही होती है।

      मसाला तो शब्द ही भारत का नहीं है। बल्कि अरबिक शब्द है। फारसी से अरबी में आया और अरबी से हिंदी में घुस गया। ये विदेशी आए तो ये शब्द भी आया। हिंदुस्तान में 17वीं, 18 वीं शताब्दी का साहित्य जब मैं पढ़ता हूं, तो जब तक मुगलों का राज्य था, तब तक मसाले शब्द का बहुत उपयोग हुआ। मुगलों के राज्य से पहले एक भी जगह किसी भी शास्त्र में मसाला शब्द नहीं है। चरक संहिता में भी कहीं पर भी मसाला नहीं लिखा, सुश्रुत में भी कहीं भी मसाला शब्द नहीं लिखा। पुराने जितने भी लेखक  10 वीं शताब्दी से पहले के, कही भी किसी ने मसालें शब्द का इस्तेमाल ही नहीं किया। हर जगह केवल औषधि शब्द का ही प्रयोग किया गया है।

      जीरा औषधि, धनिया औषधि ये औषधि के रूप में ही है। इनकी जो प्रापर्टीज है, यह सब आपकी चिकित्सा के लिए है। हमारे पुराने समय की माताएं बहने, जो हमारी दादी, नानी रही है। वह सच में सबसे बड़े वैज्ञानिक और चिकित्सक लोग रहे होंगे, क्योंकि; रोज हमारे शरीर में वात, पित्त और कफ की स्थिति सम और विषम होती रहती है।

      क्या आप जानते हैं, सुबह के समय शरीर में वात बहुत ज्यादा होता है। दोपहर को पित्त ज्यादा होता है और शाम को कफ ज्यादा होता है। इस प्रकार यह पूरे 24 घंटे में ऊपर नीचे होते रहते हैं। तो 24 घंटे में जो वात, पित्त और कफ ऊपर नीचे होता रहता है, तो पुराने समय में सब्जियों में उसी के हिसाब से औषधियां डाली जाती थी। जैसे- दोपहर की सब्जियों में अजवाइन को जरूर डाला जाता था और यदि वही सब्जी रात को बनती थी, तो अजवाइन नहीं डाला जाता था।

      इसका मेन कारण यह था, कि अजवाइन पित्त नाशक होती है। गाय के देसी घी के बाद अगर कोई सबसे बड़ा पित्त नाशक चीज है, तो वह अजवाइन है। दोपहर को ही पित्त ज्यादा बढ़ता है और वह स्वाभाविक है, क्योंकि; खाना खाने के लिए पित्त को बढ़ना ही चाहिए। तो उस समय सब्जी में अजवाइन डाली जाती थी, क्योंकि; दोपहर के समय ही शरीर को अजवाइन की जरूरत होती है,  पित्त को सम पर लाने के लिए। तो भारत में ज्यादातर माताएं बहने यह बात जानती है, कि दोपहर की सब्जी में अजवाइन जरूर चाहिए और मट्ठा में भी अजवाइन का ही तड़का लगना है। दोपहर की जितनी भी चीजें होती है, वो ज्यादातर अजवाइन से बनती है या अजवाइन से ग्रसित होती है, क्योंकि; पित्त को सम में रखना होता है।

      आप खुद सोचे, कि जो लोग पुराने समय में या अभी भी इन औषधियां का सही उपयोग कर रहे हैं। तो वह लोग कितना बड़ा काम कर रहे हैं। अगर हमने उसका वैल्यूशन नहीं किया तो यह हमारी मूर्खता है। हमारे देश में एक बहुत बड़ा दुष्कर्म यह हुआ है कि हम अंग्रेजों के गुलाम हो गए हैं। जिसके कारण सब कुछ हम भूल गए। अंग्रेजों ने जो कुछ भी हमें सिखाया, बस वही हमें याद है।

      इसके अलावा यदि आपके पेट में बहुत गैस बनती है और एसिडिटी की तकलीफ होती है, तो खाने के बाद या खाने में अजवाइन की मात्रा ज्यादा रखें या खाने के बाद अजवाइन और काला नमक एक साथ मिलाकर ले ले। आपकी गैस बनने की और एसिडिटी की तकलीफें भी खत्म हो जाएंगी।
अजवाइन दिन में खाना चाहिए रात को नहीं। जानिए क्यों अजवाइन दिन में खाना चाहिए रात को नहीं। जानिए क्यों Reviewed by Chandra Sharma on August 27, 2020 Rating: 5

No comments:

Powered by Blogger.