यह है सुख के साथ संपत्ति पाने का सूत्र
धर्मशास्त्रों के मुताबिक कर्म ही व्यक्ति के सुख और दु:ख नियत करते हैं। फिर चाहे वह पूर्वजन्मों के हो या वर्तमान जीवन के। व्यावहारिक जीवन में भी देखा जाता है कि यही सुख और संपत्ति पाने के लिए हर इंसान तरह-तरह से कोशिशें करता है। वहीं दु:ख व संकट से बचने के लिए भी हरसंभव तरीके अपनाता है। किंतु सुख और दु:ख कब और कितना मिलेगा, यह जानना मुश्किल है। क्या कोई ऐसा उपाय है, जो हमेशा व्यक्ति को सुख पाने और दु:ख से दूर रहने की राह बता सके?हिन्दू धर्मग्रंथ तुलसीकृत रामचरितमानस न केवल धार्मिक और आध्यात्मिक लाभ देता है, बल्कि इसमें लिखें धर्म उपदेश व्यावहारिक जीवन को साधने के सूत्र भी बताते हैं। यहां जानते हैं रामचरितमानस में लिखी वह चौपाई, जो खुशी को पाने और दु:खों से बचने के साफ और सीधे तरीके बताती है -
जहां सुमति तहं संपत्ति नाना। जहां कुमति तहं बिपत्ति निदाना।।
इस चौपाई का व्यावहारिक अर्थ यही है कि अच्छी सोच, आचरण और संगति से बना स्वभाव और व्यवहार मनचाहे सुख देने वाला होता है। जिसके लिए व्यक्ति शिक्षा, कुशल और परिश्रम को जीवन में स्थान दे। धर्म के नजरिए से इस बात का अर्थ है कि सद्बुद्धि व्यक्ति को बुरे कामों से दूर रख अनेक तरह के सुखों से जोड़ती है।
इसके विपरीत बुरे विचार, कर्म और साथ व्यक्ति के लिए दु:ख यानी विपत्ति का कारण बनते हैं। जिसे यहां कुमति बताया गया है। धर्म दर्शन भी यही है कि पाप कर्मों से बुद्धिदोष पैदा होता है और बुरी सोच गलत कामों से अलग नहीं होने देती, जो आखिरकार व्यक्ति के गहरे संकट का कारण बन जाती है।

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