चाणक्य नीति - आप बस इसे छोड़ दें, हमेशा मजे में रहेंगे...

आप बस इसे छोड़ दें, हमेशा मजे में रहेंगे...
सुख और दुख एक सिक्के के दो पहलु, यही दो अवस्थाएं हर इंसान के जीवन में होती हैं। या तो कोई इंसान सुखी हो सकता है या दुखी। सामान्य मनुष्य के लिए इन दोनों पहलुओं के बीच की और कोई अवस्था है ही नहीं। व्यक्ति को सुख मिलेगा या दुख, इसका निर्णय स्वयं इंसान के कर्म ही करते हैं।


व्यक्ति को मिलने वाले सुख और दुख की के संबंध में आचार्य चाणक्य ने कहा है कि दुख की सबसे बड़ी वजह से लगाव। लगाव किसी के भी साथ हो सकता है, आमतौर पर लोगों को अपने परिवार के साथ लगाव होता है। यही लगाव तब दुख का कारण बन जाता है जब यह अत्यधिक हो जाए। शास्त्रों में कहा भी गया है अति हमेशा बुरी ही होती है। कई लोगों को धन से मोह होता है। वे धन को ही सबकुछ मानकर जीते हैं।

जो लोग धन से लगाव रखते हैं वे जीवन में कभी भी सुखी नहीं रह सकते। इन लोगों को हर पल धन ही धन दिखाई देता है। पहले धन कमाने की चिंता और इस धन को संभालने की चिंता। ज्यादा धन होने के बाद भी व्यक्ति को चोरी होने का भय हमेशा ही सताता रहता है। ऐसे व्यक्ति की रातों की नींद गायब हो जाती है, सुख-चैन छीन जाता है। अत: जो व्यक्ति इस लगाव को छोड़ देगा वही सुखी हो जाएगा। अन्यथा जीवनभर मोह में फंसा रहता है। यह बात कड़वी जरूर है लेकिन जो व्यक्ति अपने परिवार के साथ भी जरूरत ज्यादा से मोह या लगाव रखता है उसे भी जीवन में कई बार दुख का सामना करना पड़ता है।
चाणक्य नीति - आप बस इसे छोड़ दें, हमेशा मजे में रहेंगे... चाणक्य नीति - आप बस इसे छोड़ दें, हमेशा मजे में रहेंगे... Reviewed by Naresh Ji on February 22, 2022 Rating: 5

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