ये लोग कभी भी उल्लेखनीय कार्य नहीं कर सकते, क्योंकि...
व्यक्ति केवल दो ही प्रकार होते हैं एक बुद्धिमान और एक मूर्ख। या तो कोई व्यक्ति बुद्धिमान हो सकता है या मूर्ख। इसके अलावा अन्य किसी ओर प्रकार का मनुष्य नहीं हो सकता है। बुद्धिमान व्यक्ति वही है जो हर ज्ञान की बात को ग्रहण करें और अपने जीवन में अपनाएं। जबकि मूर्ख व्यक्ति कभी भी ज्ञान प्राप्त करने की चेष्टा ही नहीं करते हैं।
बुद्धिमान और मूर्ख व्यक्ति के संबंध में आचार्य चाणक्य ने कहा है कि किसी मूर्ख व्यक्ति के लिए किताबें उतनी ही उपयोगी हैं जितना कि एक अंधे व्यक्ति के लिए आईना उपयोगी। जिस प्रकार किसी अंधे व्यक्ति के आईना व्यर्थ है, उसका कोई उपयोग नहीं है। कोई भी अंधा व्यक्ति जब कुछ देख ही नहीं सकता तो उसके लिए आईना किसी भी प्रकार से उपयोगी नहीं हो सकता। ठीक इसी प्रकार किसी भी मूर्ख व्यक्ति के लिए किताबें या ज्ञान की बात भी फिजूल ही है। क्योंकि मूर्ख व्यक्ति ज्ञान की बातों पर भी तर्क-वितर्क करते हैं और उन्हें समझ नहीं पाते।
आचार्य चाणक्य के अनुसार मूर्ख व्यक्ति अक्सर कुतर्क में ही समय नष्ट करते रहते हैं जबकि बुद्धिमान व्यक्ति ज्ञान को ग्रहण कर उसे अपने जीवन में उतार लेते हैं। ऐसे में बुद्धिमान लोग तो जीवन में कुछ उल्लेखनीय कार्य कर लेते हैं लेकिन मूर्ख व्यक्ति का जीवन कुतर्क करने में ही निकल जाता है। मूर्ख व्यक्ति को कोई भी समझा नहीं सकता है अत: बेहतर यही होता है कि उनसे बहस न की जाए, ना ही उन्हें समझाने का प्रयास किया जाए।
किसी भी मूर्ख व्यक्ति के सामने ज्ञान की किताबों का ढेर लगा देने से भी वह उनसे कुछ भी ग्रहण नहीं कर पाएगा। उनके लिए किताबें मूल्यहीन ही है और किताबों में लिखी ज्ञान की बातें फिजूल है। अत: किसी भी मूर्ख व्यक्ति को समझाने में अपना समय व्यर्थ नहीं करना चाहिए।
व्यक्ति केवल दो ही प्रकार होते हैं एक बुद्धिमान और एक मूर्ख। या तो कोई व्यक्ति बुद्धिमान हो सकता है या मूर्ख। इसके अलावा अन्य किसी ओर प्रकार का मनुष्य नहीं हो सकता है। बुद्धिमान व्यक्ति वही है जो हर ज्ञान की बात को ग्रहण करें और अपने जीवन में अपनाएं। जबकि मूर्ख व्यक्ति कभी भी ज्ञान प्राप्त करने की चेष्टा ही नहीं करते हैं।
बुद्धिमान और मूर्ख व्यक्ति के संबंध में आचार्य चाणक्य ने कहा है कि किसी मूर्ख व्यक्ति के लिए किताबें उतनी ही उपयोगी हैं जितना कि एक अंधे व्यक्ति के लिए आईना उपयोगी। जिस प्रकार किसी अंधे व्यक्ति के आईना व्यर्थ है, उसका कोई उपयोग नहीं है। कोई भी अंधा व्यक्ति जब कुछ देख ही नहीं सकता तो उसके लिए आईना किसी भी प्रकार से उपयोगी नहीं हो सकता। ठीक इसी प्रकार किसी भी मूर्ख व्यक्ति के लिए किताबें या ज्ञान की बात भी फिजूल ही है। क्योंकि मूर्ख व्यक्ति ज्ञान की बातों पर भी तर्क-वितर्क करते हैं और उन्हें समझ नहीं पाते।
आचार्य चाणक्य के अनुसार मूर्ख व्यक्ति अक्सर कुतर्क में ही समय नष्ट करते रहते हैं जबकि बुद्धिमान व्यक्ति ज्ञान को ग्रहण कर उसे अपने जीवन में उतार लेते हैं। ऐसे में बुद्धिमान लोग तो जीवन में कुछ उल्लेखनीय कार्य कर लेते हैं लेकिन मूर्ख व्यक्ति का जीवन कुतर्क करने में ही निकल जाता है। मूर्ख व्यक्ति को कोई भी समझा नहीं सकता है अत: बेहतर यही होता है कि उनसे बहस न की जाए, ना ही उन्हें समझाने का प्रयास किया जाए।
किसी भी मूर्ख व्यक्ति के सामने ज्ञान की किताबों का ढेर लगा देने से भी वह उनसे कुछ भी ग्रहण नहीं कर पाएगा। उनके लिए किताबें मूल्यहीन ही है और किताबों में लिखी ज्ञान की बातें फिजूल है। अत: किसी भी मूर्ख व्यक्ति को समझाने में अपना समय व्यर्थ नहीं करना चाहिए।
चाणक्य नीति -- ये लोग कभी भी उल्लेखनीय कार्य नहीं कर सकते
Reviewed by Naresh Ji
on
February 22, 2022
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