इस सुख का कोई अंत नहीं ..
आम इंसान जिंदगी में अनेक तरह के सुख की कामना करता है। जिनमें स्वास्थ्य, धन, संतान, घर आदि। इन सुखों के लिए वह दिन-रात तन, मन से भरसक कोशिश करता है। इस मेहनत का फल भी उसे सुख की प्राप्ति के रूप में मिलते हैं। वहीं वह कई मौकों पर नाकाम भी होता है, जिससे दु:ख और निराशा मिलती है। किंतु जब सुख पाकर भी व्यक्ति बेचैन और परेशान दिखाई दे तो यह सवाल बनता है कि आखिर ऐसा कौन-सा सुख है, जिसको पाकर कोई व्यक्ति किसी ओर सुख की चाह ही न करे?
इस बात का जवाब छुपा है धर्मशास्त्रों में। जिनके मुताबिक जगत के सारे सुखों से भी बड़ा सुख है - भगवत या इष्ट साधना। माना जाता है कि दुनिया के हर सुख मिल जाए और भगवान और धर्म से व्यक्ति दूर हो जाए तो सभी सुख व्यर्थ हैं। इसके विपरीत सभी सुखों से वंचित रहने पर भी भगवत प्रेम प्राप्त हो जाए तो वह व्यक्ति सबसे धनी होता है।
धर्मशास्त्रों में अनेक ऐसे भक्तों के उदाहरण हैं, जिन्होंने भगवत कृपा की वह दौलत पाई, जिसने जगत को भौतिक सुखों से दूर ऐसी अंतहीन खुशी पाने की राह बताई, जिस पर चलना हर किसी के बस में है। इनमें श्रीकृष्ण के परम मित्र सुदामा और भगवान राम के भक्त श्री हनुमान प्रमुख है। लोक जीवन में कृष्णभक्त मीरा और चैतन्य महाप्रभु ने सारे भौतिक सुखों को भक्ति के आगे बौना साबित किया।
धर्मग्रंथों में श्री हनुमान द्वारा माता सीता द्वारा मोती की माला देने पर उनकों चबाकर तोड़ अपने इष्ट को ढूंढने का प्रसंग है। जिसको साबित करने के लिए हनुमान के खुशी-खुशी सीने को चीरकर राम-सीता की छबि बताना भी भगवत भक्ति का बेजोड़ उदाहरण है। वहीं शास्त्रों के परम ज्ञाता सुदामा को श्रीकृष्ण के प्रति अपार प्रेम से आध्यात्मिक नजरिए से भगवत कृपा पाने वाला सबसे वैभवशाली चरित्र माना जाता है। लोक जीवन में मीरा ने बेमिसाल भक्ति से कृष्ण को पाया तो चैतन्य महाप्रभु भक्ति में ऐसे डूबे कि माना जाता है कि वह भगवान की मूर्ति में ही समा गए।
सार यह है कि अगर वास्तविक सुख और आनंद चाहें तो व्यावहारिक जीवन में धर्म और ईश्वर से भी जुड़े। क्योंकि जब व्यक्ति भगवान को स्मरण करता है तो वह सारे दु:ख, तनावों, चिंताओं, कष्टों से परे हो गहरी मानसिक शांति और स्थिरता पाता है, जो नया आत्मविश्वास पैदा करती है। लेकिन इसकी शर्त यही है कि भगवान को आजमाने के लिए याद न करें, बल्कि श्रद्धा और विश्वास से स्मरण करें। तभी वह खुशी मिलेगी, जो हमेशा कायम रहेगी।
इस सुख का कोई अंत नहीं ..
Reviewed by Naresh Ji
on
February 17, 2022
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