वकील कला कोट क्यों पहनते है?
* वकील काला कोट क्यों पहनते हैं: वकील काला कोट ही क्यों पहनते है, कोई दूसरे कलर का कोट क्यों नहीं पहनते। जहां पर हमारे देश की न्यायपालिका और गर्म इलाकों में उपस्थित न्यायपालिकांए जहां का टेंपरेचर 47 से 50 डिग्री होता है। जहां का टेपरेचर 50 डिग्री रहता हो, वहां पर वकील अदालत में काला कोट पहनकर बहस करें, यह तो समझ नहीं आता।
वैसे तो काला कोट़ पहनकर वकालत करने की परंपरा विदेशी लोगों की है, क्योंकि काला रंग ऊर्जा का अवशोषण करता है। जिसे पहनने पर गर्मी में ओर अधिक गर्मी और सर्दी में पहनने में राहत मिलती है। विदेशों की न्यायपालिका में काला कोट पहनकर वकालत की जाती है और उनके लिए स्वाभाविक भी है, क्योंकि वहां -40℃ तापमान रहता है। भयंकर ठंड रहती है और बर्फ पड़ती है, साल में 8 महीने तो बर्फ ही पड़ती है। इतनी बर्फ पड़ने वाले देश में जहां इतनी ठण्ड़ पड़ती हो, वहां पर तो काला कोट पहनना ही पड़ेगा, क्योंकि; वो गर्मी देता है। ऊष्मा का अच्छा अवशोषक होता है, काला रंग।
अंदर की गर्मी को बाहर नहीं निकलने देता और बाहर से गर्मी को अवशोषित करता है। इसीलिए ठण्ड़े देश के वकील काला कोट पहनकर अदालत में बहस करें तो समझ में आता है, इसके विपरीत हमारे भारत देश, गर्म देश में काला कोट पहनकर वकील बहस करें, यह तो समझ नहीं आता। गर्म देश में गर्म ही कपड़े पहन कर।
1947 से पहले हमारे देश में ऐसा होता था, यह तो समझ में आता था। लेकिन 1947 के बाद और अब भी ऐसा चल रहा है। यह तो समझ से बाहर है। हमारे देश में पहले अंग्रेज न्यायाधीश होते थे, तो वह सिर पर टोपी भी लगाते थे, वो भी काला होता था, उसमें कुछ नकली बाल भी होते थे। ऐसी ही टोपी आजादी के कम से कम 50 साल तक हमारे जज भी पहनते रहे हैं।
मेरा कहने का सिर्फ इतना तात्पर्य है, कि अंग्रेजों की गुलामी की निशानियां को हमने आजादी के 62 सालों में भी मिटाया नहीं है। उनकी निशालियो को संभाल कर रखा है, सहेज कर रखा है। आजादी के समय जो बहुत बड़े वकील हुए, जैसे- महात्मा गांधी वकील थे, जो आजादी की लड़ाई के नेता थे, सरदार वल्लभभाई पटेल, बाल गंगाधर तिलक, लाला लाजपत राय, बिपिन चंद्र पाल बड़े वकील नेता इस देश में हुए। जिन्होंने उस जमाने में काले कोट का बहिष्कार किया। अंग्रेजो की पोशाक का बहिष्कार किया। लोकमान्य तिलक जी तो मराठी पगड़ी बांधकर अदालत में खड़े होते थे। जज भी उनको कहते थे कि आपकी पोशाक वकील की नहीं है। लेकिन वह उनसे कहते थे कि मेरी पोशाक तो यही है, क्योंकि; इस देश की पोशाक ही यही है।
दुख तो बस इस बात का है, कि आजादी के बाद भी अंग्रेजों के सारे नियम, अंग्रेजों की सारी व्यवस्थाएं और अंग्रेजों की सारी निशानियां आज भी वैसे ही चल रही है, जो कि गलत है।
वकील कला कोट क्यों पहनते है?
Reviewed by Chandra Sharma
on
September 22, 2020
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