गुड़ खाने के फायदे जानकर हैरान हो जाएंगे आप
* गुड़ खाने के फायदे: यदि आप कफ को हमेशा के लिए शांत रखना चाहते है, शमित रखना चाहते है, सम रखना चाहते है, तो हमेशा गुड़ या शहद का सेवन करें। कफ जब भी बिगड़ता है, तो शरीर में फॉस्फोरस की बहुत कमी आ जाती है। जब भी कफ बिगड़ता है, तो आप समझ जाइए कि आपके शरीर में फॉस्फोरस की कमी हो गयी है। आर्सेनिक, फॉस्फोरस की मात्रा में वृद्धि में सहायक होता है। आर्सेनिक यदि शरीर में ना रहे तो ज्यादा अच्छा होता है, क्योंकि; जहर होता है। मगर यदि थोड़ी-सी मात्रा में रहे तो फॉस्फोरस को ताकत भी देता है। फॉस्फोरस का कंप्लीमेंट्री होता है, आर्सेनिक।
अब यदि आपके शरीर में कफ ज्यादा बढ़ गया, इसका मतलब फॉस्फोरस में कमी आ गयी। तो ऐसे में आप गुड़ ज्यादा खाए, क्योंकि; गुड़ में सबसे ज्यादा फॉस्फोरस की मात्रा को ही पाया जाता है। हालांकि इसमें थोड़ी-सी मात्रा में आर्सेनिक भी होता है। जबकि फॉस्फोरस अधिक मात्रा में होता है। इसके साथ गन्ने के रस में भी फॉस्फोरस की मात्रा होती है। लेकिन गुड में उससे अधिक मात्रा पाई जाती है। यदि हम गन्ने के रस को गर्म करते हैं, तो उसमें फॉस्फोरस की मात्रा में वृद्धि हो जाती है। बल्कि वागभट्ट जी ने कफ बढ़ने पर गुड़ खाने के लिए कहा, क्योंकि; गुड पचने में भी आसान होता है और गुड़ में गन्ने के रस से अच्छी क्वालिटी का फॉस्फोरस पाया जाता है और गुड को पैदा हुए बच्चे को भी यानी 1 दिन के बच्चे को भी आप खिला सकते हैं।
गुड बनने से पहले एक और चीज़ बनती है, जिसको 'तरल गुड' या 'राब' भी कहा जाता है। तब वागभट्ट जी कहते हैं, कि यदि गुड और तरल गुड़ में आपके पास च्वॉइस है, तो आप राब खाइए, क्योंकि; वह गुड़ से भी ज्यादा अच्छी होती है। गुड से ज्यादा अच्छी क्वालिटी का फॉस्फोरस राब में पाया जाता है। यदि आप राब का सेवन करते है, तो कफ की आपकी जिंदगी में कभी भी प्रॉब्लम नहीं आ सकती।
वाग्भट्ट जी कहते हैं कि प्रकृति में जिन चीजों का रंग जितना ज्यादा साफ होता है यानी लाइट होता है। वह उतना ही ज्यादा हानिकारक होता है, वह हमारे अनुकूल नहीं होती। आपने देखा भी होगा, गन्ने का रस सफेद नहीं होता, बल्कि हरा-हरा सा होता है, तो सफेद गुड़ कहां से आया। सफेद गुड बनाने के लिए निम्मा से धोया जाता है, जिससे काले गुड़ का रंग थोड़ा सफेद हो जाता है। जिसे लोग गलती से अच्छा समझते हैं, जो कि बहुत ही खतरनाक और बहुत ही खराब होता है। गुड़ काले भूरे रंग का ही अच्छा होता है। यही गुड दुनिया का सबसे अच्छा गुड माना जाता है।
वाग्भट्ट जी कहते हैं कि दुनिया में गुड़ के अतिरिक्त मिठाइयां वह भी आपके लिए बहुत खराब होती हैं। जैसे- चीनी। हालांकि गन्ने के रस से ही चीनी और गुड़ दोनों बनते हैं। बस दोनों की अलग-अलग सभ्यताओं का इसमें अंतर होता है। एक सभ्यता तो यूरोप और अमेरिका की है, जहां से चीनी आई और दूसरी सभ्यता भारत की है, जहां से गुड़ आया। दोनों में एक ही मैटिरियल का यूज किया जाता है। चीनी बनाने के लिए भी गन्ने का रस की आवश्यकता पड़ती है और गुड़ बनाने के लिए भी गन्ने के रस की आवश्यकता होती है। जैसे- गेहूं के आटे से रोटी भी बनती है, पूरी भी बनती है और पराठा भी बनता है और उसी गेहूं के आटे से पॉव रोटी भी बनती है। बस सभ्यताओ का ही अंतर है। जिसके से अन्तर फायदे और नुकसान दोनों होते है। तो आप हमेशा फायदे देने वाली चीजों का ही सेवन करिए।
गुड़ खाने के फायदे जानकर हैरान हो जाएंगे आप
Reviewed by Chandra Sharma
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September 22, 2020
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