विटामिन A, B, C और कैल्शियम के मुख्य स्रोत
* खाघ पदार्थों की उपलब्धि: भारत एक ऐसा देश है, जहां अधिक मात्रा में गाजर पैदा होती है और विटामिन A की हर चीज इस देश में मिलती है। बहुत सारे देश ऐसे हैं, जहां गाजर नहीं हो सकती। बहुत सारे देश हैं, जहां मूंगफली नहीं हो सकती, बहुत सारे देश ऐसे हैं कि जहां पर दूध नहीं है, क्योंकि जानवर नहीं है। बहुत सारे देश ऐसे हैं कि जहां पर दही नहीं है, मक्खन नहीं है, पनीर नहीं है, क्योंकि उनके यहां जानवरों की संख्या नहीं है। वहां पर विटामिन A की कमी से हजारों बच्चे अंधे हो जाए, तो एक बार को समझ में आता है। पर भारत जैसे देश में जहां पर प्रचुर भंडार है, सस्ती कीमत पर विटामिन A उपलब्ध है, वहां पर हजारों बच्चे अंधे हो जाए, तो यह बहुत दुख की बात है।
यदि विटामिन C की कमी हो जाए हमारे देश के नागरिकों में तो आप जानते हैं, कि विटामिन C का सबसे बड़ा स्रोत है, आंवला। आसानी से उपलब्ध है। जब सीजन आता है, तब आप इसको इकटठ्ठा करके रख सकते हैं और इसको सालों साल इस्तेमाल कर सकते हैं। आंवले के कई उत्पादन है। लेकिन अगर आप चाहे तो इनको अपने घर पर ही तैयार करके हमेशा के लिए रख सकते हैं। इतना बड़ा स्त्रोत्र है, विटामिन सी का।
विटामिन B12 की तो भारत में कभी कमी ही नहीं हो सकती, क्योंकि यहां के लोग जितने तरह की सब्जियां खाते हैं, जितने तरह के फल खाते हैं, तो सवाल ही नहीं उठता कि भारत में नागरिकों में विटामिन B12 की कमी हो जाए। ऐसे में हमारे देश में प्रकृति के द्वारा जो बहुत सारे समृद्ध पदार्थ है। कम कीमत में उपलब्ध मिल जाते हैं। सबसे बड़ी बात है कि आंवला भारत में हर जगह आसानी से मिल जाता है। गाजर भारत में हर जगह आसानी से मिल जाती है। टमाटर भारत में हर जगह आसानी से मिल जाता है तो क्यों नहीं, हम इनका हमारे मरीजों में हमारे देश के साधारण नागरिकों में प्रचलन बढ़ाएं और इस प्रचलन को आप जितना ज्यादा बढ़ा देंगे, हमारे मरीजों की फालतू दवाओं पर निर्भरता उतनी ही कम हो जाएगी।
कैल्शियम की कमी के भारत में इतने सारे मरीज आते है। भारत में बहुत सारी सस्ती चीजों से कैल्शियम को प्राप्त किया जा सकता है। सबसे कम कीमत पर हमारे यहां चूने के पत्थर के रूप में कैल्शियम उपलब्ध है। चूने के पत्थर की थोड़ी-सी मात्रा को पानी में भिगोकर रख दो और जब वह पत्थर पानी में घुल जाए, तब उसकों ले लो। जो आपकी और आपके परिवार की 5 - 10 साल तक की कैल्शियम की पूर्ति को पूरा कर सकते है।
भारत के लोगों को एक छोटी-सी बात कहना चाहता हूं कि लोगों को कहिए कि कैल्शियम की कमी पूरी करनी है, तो सिंडोज की गोलियां मत खाइये। जो कई रुपए की आती है, बेचारा गरीब आदमी तो सोचकर ही चिंता में पड़ जाता है और फिर उसका खर्चा बढ़ जाता है। माताओ को अक्सर गर्भावस्था के समय में कैल्शियम की गोलियां की जरूरत होती है, तो उनका इतना ही बता दो कि चूना खाओ। चूने को तंबाकू के साथ लगाकर मत खाओ, इसको खाना है तो दही में, दाल में डाल कर खाओ, अगर पीना है तो पानी में डालकर पिए।
मामूली-सी मात्रा जीरे से दाने के बराबर, मूंग के दाने के बराबर, दही में, दाल में, सब्जी में, पानी में आसानी से खाया जा सकता है और बहुत बड़ा कैल्शियम का स्रोत है। भारत को भगवान ने इतना बड़ा स्त्रोत कैल्शियम का इस देश को दिया है, शायद ही किसी देश में होगा। वो चूने का पत्थर ही है, जिससे हम सीमेंट बना रहे हैं, वह चूने का पत्थर ही है, जो कई तरह के उघोग में जा रहा है। वही चूना हमारे मरीजों की कैल्शियम की पूर्ति में बहुत बड़ी भूमिका निभा सकता है।
यह साधारण-सी बात है। आम आदमी के दिल और दिमाग में बहुत जल्दी बैठ जाती है और जब कोई डॉक्टर ही मरीज को यह कह देता है, कि कैल्शियम की पूर्ति के लिए चूने का पत्थर सर्वोत्तम है, तो हर आदमी इस बात को बहुत ही गहराई से लेगा। एक तो यह परंपरा भी चली आ रही है, कि चूना उसके दादाजी भी खाते थे, उसके दादा जी के दादाजी भी खाते थे, वह भी खाते हुए देखा है, उसने। फिर डॉक्टर और बोल दे, तो बात पक्की ही बैठ जाएगी उसके दिमाग में।
फिर वह अपनी जीवन शैली को इस तरह से बना लेगा, कि सिंडोज की गोलियां खा-खा कर जो एक विदेशी कंपनी है, उसके करोडों रूपए का धंधा सिर्फ गोलियों का ही है और यह धंधा हम भारतवासियों की अनजाने में है, गैरजानकारी में है। अगर यह जानकारी बढ़ जाए, तो बहुत बड़ा काम आप सब मिलकर कर पाएगें।
यदि विटामिन C की कमी हो जाए हमारे देश के नागरिकों में तो आप जानते हैं, कि विटामिन C का सबसे बड़ा स्रोत है, आंवला। आसानी से उपलब्ध है। जब सीजन आता है, तब आप इसको इकटठ्ठा करके रख सकते हैं और इसको सालों साल इस्तेमाल कर सकते हैं। आंवले के कई उत्पादन है। लेकिन अगर आप चाहे तो इनको अपने घर पर ही तैयार करके हमेशा के लिए रख सकते हैं। इतना बड़ा स्त्रोत्र है, विटामिन सी का।
विटामिन B12 की तो भारत में कभी कमी ही नहीं हो सकती, क्योंकि यहां के लोग जितने तरह की सब्जियां खाते हैं, जितने तरह के फल खाते हैं, तो सवाल ही नहीं उठता कि भारत में नागरिकों में विटामिन B12 की कमी हो जाए। ऐसे में हमारे देश में प्रकृति के द्वारा जो बहुत सारे समृद्ध पदार्थ है। कम कीमत में उपलब्ध मिल जाते हैं। सबसे बड़ी बात है कि आंवला भारत में हर जगह आसानी से मिल जाता है। गाजर भारत में हर जगह आसानी से मिल जाती है। टमाटर भारत में हर जगह आसानी से मिल जाता है तो क्यों नहीं, हम इनका हमारे मरीजों में हमारे देश के साधारण नागरिकों में प्रचलन बढ़ाएं और इस प्रचलन को आप जितना ज्यादा बढ़ा देंगे, हमारे मरीजों की फालतू दवाओं पर निर्भरता उतनी ही कम हो जाएगी।
कैल्शियम की कमी के भारत में इतने सारे मरीज आते है। भारत में बहुत सारी सस्ती चीजों से कैल्शियम को प्राप्त किया जा सकता है। सबसे कम कीमत पर हमारे यहां चूने के पत्थर के रूप में कैल्शियम उपलब्ध है। चूने के पत्थर की थोड़ी-सी मात्रा को पानी में भिगोकर रख दो और जब वह पत्थर पानी में घुल जाए, तब उसकों ले लो। जो आपकी और आपके परिवार की 5 - 10 साल तक की कैल्शियम की पूर्ति को पूरा कर सकते है।
भारत के लोगों को एक छोटी-सी बात कहना चाहता हूं कि लोगों को कहिए कि कैल्शियम की कमी पूरी करनी है, तो सिंडोज की गोलियां मत खाइये। जो कई रुपए की आती है, बेचारा गरीब आदमी तो सोचकर ही चिंता में पड़ जाता है और फिर उसका खर्चा बढ़ जाता है। माताओ को अक्सर गर्भावस्था के समय में कैल्शियम की गोलियां की जरूरत होती है, तो उनका इतना ही बता दो कि चूना खाओ। चूने को तंबाकू के साथ लगाकर मत खाओ, इसको खाना है तो दही में, दाल में डाल कर खाओ, अगर पीना है तो पानी में डालकर पिए।
मामूली-सी मात्रा जीरे से दाने के बराबर, मूंग के दाने के बराबर, दही में, दाल में, सब्जी में, पानी में आसानी से खाया जा सकता है और बहुत बड़ा कैल्शियम का स्रोत है। भारत को भगवान ने इतना बड़ा स्त्रोत कैल्शियम का इस देश को दिया है, शायद ही किसी देश में होगा। वो चूने का पत्थर ही है, जिससे हम सीमेंट बना रहे हैं, वह चूने का पत्थर ही है, जो कई तरह के उघोग में जा रहा है। वही चूना हमारे मरीजों की कैल्शियम की पूर्ति में बहुत बड़ी भूमिका निभा सकता है।
यह साधारण-सी बात है। आम आदमी के दिल और दिमाग में बहुत जल्दी बैठ जाती है और जब कोई डॉक्टर ही मरीज को यह कह देता है, कि कैल्शियम की पूर्ति के लिए चूने का पत्थर सर्वोत्तम है, तो हर आदमी इस बात को बहुत ही गहराई से लेगा। एक तो यह परंपरा भी चली आ रही है, कि चूना उसके दादाजी भी खाते थे, उसके दादा जी के दादाजी भी खाते थे, वह भी खाते हुए देखा है, उसने। फिर डॉक्टर और बोल दे, तो बात पक्की ही बैठ जाएगी उसके दिमाग में।
फिर वह अपनी जीवन शैली को इस तरह से बना लेगा, कि सिंडोज की गोलियां खा-खा कर जो एक विदेशी कंपनी है, उसके करोडों रूपए का धंधा सिर्फ गोलियों का ही है और यह धंधा हम भारतवासियों की अनजाने में है, गैरजानकारी में है। अगर यह जानकारी बढ़ जाए, तो बहुत बड़ा काम आप सब मिलकर कर पाएगें।
विटामिन A, B, C और कैल्शियम के मुख्य स्रोत
Reviewed by Chandra Sharma
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September 22, 2020
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