अच्छे स्वास्थ्य के लिए आयुर्वेद के 5 नियम

अच्छे स्वास्थ्य के लिए आयुर्वेद के 5 नियम

* अच्छे स्वास्थ्य बनाए रखने के लिए आयुर्वेद के 5 नियम: आयुर्वेद को आप अपना सुरक्षा कवच कैसे बना सकते हैं। खुद को और अपने परिवार को कैसे सुरक्षित रख सकते हैं। इससे हमें संपूर्ण स्वास्थ्य प्राप्त होगा और हर तरह की बीमारियों से भी हमारा बचाव होगा।

      आयुर्वेद जीवन का ज्ञान, जीवन का विज्ञान है। इसका उद्देश्य स्वस्थ व्यक्ति के स्वास्थ्य की रक्षा करना और अगर बीमारियां हुई तो उनको दूर करके उस व्यक्ति को निरोगी बनाना है। अगर हम आयुर्वेद में शास्त्रों में बताए गए इन 5 नियमों के सिद्धांतों पर अमल करेंगे तो आसानी से खुद की और अपने परिवार की सुरक्षा कर सकते हैं।

* नंबर 1: अग्नि की रक्षा- अग्नि का काम है, दिन भर में हम जो भी खाते हैं, उसका पचन करना, उससे शरीर की धातु बनाना यानी हमारा मेटाबॉलिज्म। चया-पचय क्रिया अग्नि पर निर्भर है। आयुर्वेद में कहा गया है कि अगर यह अग्नि शांत हो गई तो मनुष्य की मृत्यु हो जाती है। भगवत गीता में भगवान श्रीकृष्ण कहते हैं, अग्नि इतना महत्वपूर्ण है कि उसको भगवान का दर्जा यानी बहुत ऊंचा दर्जा दिया गया है। आयुर्वेद में 13 प्रकार के अग्नि वर्णन किया गया है। एक जठराग्नि, पांच महाभुताग्री (आकाश, वायु, तेज, आप, पृथ्वी),  सप्त धात्वाग्री अर्थात शरीर में सात धातु है- रस, रक्त, मांस, मेंद, अस्थि, मज्जा और शुक्र। तो इस प्रत्येक धातु की एक-एक अग्नि है। इस तरह 13 प्रकार की अग्नि है।

      इसमें से जठराग्नि या पाचक अग्नि सबसे प्रमुख है। जठर यानी स्टमक। इसमें रहने वाली अग्नि जठराग्नि होती है। जठराग्नि अगर स्वस्थ है, तो पूरा शरीर स्वस्थ रहेगा। इसके लिए आपको खानपान से संबंधित छोटी-छोटी बातों का ध्यान रखना है। जैसे- खाना षडरसात्मक हो यानी खाने में मीठ़ा, खट्टा, नमकीन, तीखा, कड़वा और कसैला के स्वाद हो। खाना ताजा और पचने मे हल्का हो। हमारी रसोई में मिलने वाले सभी मसाले दीपन पाचन करने वाले यानी अग्नि को बढ़ाने वाले, खाने को अच्छी तरह पचाने वाले हैं तो इनका खाने में अपने स्वाद और आवश्यकता के अनुसार आप प्रयोग करें।

      शुद्ध देसी गाय का घी खाने में जरूर इस्तेमाल करें। पानी हमेशा प्यास के अनुसार, प्रकृति के अनुसार, मौसम के अनुसार पिए। बहुत ज्यादा पानी पीना भी अग्नि को मंद करने का प्रमुख कारण है  और अगर अग्नि मंद हुयी तो बीमारियां भी होंगी। खाने में जंक फुड़, तला हुआ या पचने में हैवी फुड़ भी अवायड़ करे।

* नंबर 2: अभ्यंग- अभ्यंग यानी शरीर पर तेल लगाना, तेल की मालिश करना। वागभट्ट ऋषि कहते हैं कि शरीर पर तेल लगाना, मालिश करने के बहुत सारे फायदे हैं। इससे हमें प्रतिदिन यानी रोज करना है। मालिश के लिए तिल का तेल, नारियल का तेल, सरसों का तेल या कोई भी औषधियों से सिद्ध तेल का आप इस्तेमाल कर सकते हैं। इसके साथ ही नस्य यानी नाक में तेल डालना, कर्णपूरण यानी कान में तेल डालना, गंडूष और कवल यानी ऑयल पुलिंग थेरेपी। यह भी बहुत लाभदायक है। तेल की यह प्रोटेक्टिव लेयर सभी इंफेक्शन या बीमारियों से शरीर की रक्षा करती है।

* नंबर 3: श्वसनसंस्थान या प्राणवह संस्थान की सुरक्षा: इसकी इम्युनिटी को बढ़ाने के लिए ओंकार, प्राणायाम या योगासन का नियमित अभ्यास हमें बहुत लाभ पहुंचाता हैं। प्राणायाम को अच्छी तरह से सीखकर फिर उसका अभ्यास करें।
      नस्य चिकित्सा भी यानी श्वसन संस्थान। रेसपेटेरी सिस्टम को सक्षम बनाने में हमारी मदद करती है। इसके साथ ही हल्दी, तुलसी, अदरक, अजवाइन, पीपली जैसी गुणकारी औषधियों का सेवन भी फायदेमंद है। 

* नंबर 4: हमारा चौथा सुरक्षा कवच 'ओज'। हमारे शरीर में सप्तधातु हैं। उन सबका सार है, ओज। अगर ओज सारवान है, तो हमारी इम्युनिटी अच्छी रहेगी और सभी बीमारियों से बचाव होगा। ओज शक्ति को बढ़ाने के लिए शतावरी, अश्वगंधा, गिलोय, मुलैठी, जैसी औषधिंया बहुत लाभदायक है।

* नंबर 5: हमारा पांचवा सुरक्षा कवच 'मानसिक स्वास्थ्य'। आयुर्वेद में स्वस्थ व्यक्ति की व्याख्या बताते हुए, आचार्य सुश्रुत कहते हैं कि शरीर में दोष, धातु और मन इनकी साम्य अवस्था के साथ हमारी आत्मा, इंद्रियां और मन भी प्रसन्न रहने चाहिए। इसके लिए ध्यान, मेडिटेशन, सकारात्मक सोच और सात्विक आहार बहुत जरूरी है। इसके साथ ही जो भी हम पढ़ रहे हैं, देख रहे हैं, या सुन रहे हैं, वो अच्छा हो, सकारात्मक हो, तभी हमारा मानसिक स्वास्थ्य अच्छा रहेगा।

      गहरी नींद भी स्वास्थ्य के लिए बहुत आवश्यक है, तो इस तरह आयुर्वेद के बतांए इन 5 सिद्धांतों को खुद को और अपने परिवार की सुरक्षा कवच के रूप में अपनाएं और जीवन को स्वस्थ और सुंदर बनाएं।

अच्छे स्वास्थ्य के लिए आयुर्वेद के 5 नियम अच्छे स्वास्थ्य के लिए आयुर्वेद के 5 नियम Reviewed by Chandra Sharma on September 23, 2020 Rating: 5

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