मिट्टी के बर्तनों में खाना बनाना सर्वश्रेष्ठ है। जानिए क्यों?

मिट्टी के बर्तनों में खाना बनाना सर्वश्रेष्ठ है। जानिए क्यों?

* खाना हमेशा मिट्टी के बर्तनों मे ही पकाए: हमारे देश में आजकल  स्टील और एल्युमिनियम के बर्तनों का प्रयोग अधिक हो गया है, जो मानव स्वास्थ्य के लिए अति हानिकारक है। प्राचीन समय में भारत में मिट्टी के बर्तनों का प्रयोग किया जाता था, जिसके प्रयोग से मनुष्य स्वस्थ और दीर्घायु प्राप्त करता था, क्योंकि;  मिट्टी के बर्तन में खाना पकाने से खाने के सभी पोषक तत्व जीवित रहते हैं, जो मनुष्य जीवन के लिए अति महत्वपूर्ण होते हैं। जबकि ऐसा एल्युमिनियम और स्टील के बर्तनों में नहीं होता।
      इसके अलावा मिट्टी के बर्तनों के बाद खाना बनाने के लिए, यदि कोई चीज सर्वोत्तम मानी जाती है, तो वो है, 'कांसा'। कांसा धातु का पात्र खाना पकाने के लिए सबसे अच्छा होता है। हमारे देश में कांसे के बर्तनों में ही खाने को पकाया जाता था और केवल दो ही प्रकार के मिट्टी के बर्तनों और कांसे के बर्तनों का उपयोग किया जाता था। जिसमें खाने के न्यूट्रिएंट्स बिल्कुल भी खत्म नहीं होते थे।

      मिट्टी और कांसे के बर्तन के बाद यदि कोई पात्र इस्तेमाल किया जा सकता है, तो वो है, पीतल का पात्र। इन तीनो पात्रो में खाना बनाने से खाने के केवन ना बराबर ही पोषक तत्व नष्ट होते है। जैसे- यदि अरहर की दाल को कांसे के बर्तन में पकाएं तो उसके केवल 3% माइक्रो न्यूट्रिएंट्स ही कम होते हैं, 97% मेंटेन रहते हैं। यदि पीतल के बर्तन में खाना पकाते हैं तो 7% कम होते हैं और 93% बचे रहते हैं। लेकिन यदि खाना प्रेशर कुकर में बनाते हैं तो सिर्फ 7% बचते है, बाकी खत्म हो जाते हैं।

      अब आप खुद तय कर लीजिए कि आपको लाइफ में क्वालिटी चाहिए, तो आप को मिट्टी की हांडी की तरफ ही जाना पड़ेगा। क्वालिटी और लाइफ की बात अगर आप करेंगे मतलब जो आप खा रहे हैं, वो पूरे शरीर में पोषक तत्व दे। तो मिट्टी की हाडी़ की तरफ ही जाना पड़ेगा। मानो भारत की तरफ वापस लौटना पड़ेगा, इंडिया से। अभी हमें इंडिया में है, जो बनाया है, अंग्रेजों ने। या बना दिया अमेरिकियों ने। इस इंडि़या से निकलकर हमें वापस भारत की ओर आना ही पड़ेगा।

      मिट्टी के बर्तनों को दोबारा उपयोग में लाने से जो हमारे कुमार बेरोजगार हो गए हैं, उन्हें दोबारा से रोजगार मिल जाएगा और हम लोगों को पोषक तत्व। सबसे बड़ी बात यह है, कि हमारे देश में रोजगार पैदा होंगे और सस्ता में पात्र भी उपलब्ध होंगे। जिससे हमें पोषक तत्व मिलेगे और कुम्हारों को रोजगार। एक मिट्टी की हांडी 20 से ₹25 में मिल जाती है, जबकि एक प्रेशर कुकर 250 से ₹300 में। तो आप कोशिश यह करें कि आप अपने घर में थोड़ा-सा परिवर्तन करें और मिट्टी के बर्तनों को ले आए।

      आजकल भारत के नागरिकों में जो भी बीमारियां उत्पन्न होती है, उसका बड़ा मैन कारण यही है, कि हम लोग एल्युमिनियम और स्टील के बर्तनों में ज्यादा खाना बनाना पंसद करते है। क्योंकि प्रेशर कुकर में खाना 10 मिनट में बन जाता है, जबकि मिट्टी की हांडी में वो ही खाना 30 मिनट मे। लेकिन ये 20 मिनट का अन्तर आपकी लाइफ पर भारी पड़ सकता है। क्योंकि प्रेशर कुकर में खाने बनाने से 93% पोषक तत्व नष्ट हो जाते है। जिससे हमारे शरीर को पोषक तत्व नहीं मिल पाते और फिर बीमारियों का शिकार बन जाते है।

      इसलिए यदि आपको स्वस्थ रहना है। तो मिट्टी के, कांसे के या तांबे के बर्तनों का ही फिर से उपयोग करना शुरू कर दें और और एक लंबी आयु जिए और स्वस्थ रहे। आजकल तो मिट्टी के प्रेशर कुकर मिट्टी की कड़ाई, मिट्टी के तवे तथा सभी प्रकार के पात्र मिट्टी के आसानी से मिल जाते हैं। तो आज से ही एल्युमिनियम और स्टील के पात्रों को छोड़कर मिट्टी, कांसे या तांबे और पीतल के पात्रों को अपनी रसोई घर में ले आए और उनका इस्तेमाल करें। ऐसा करने से आपको बहुत-सी बीमारियों से छुटकारा मिल जाएगा और आपका जीवन लंबा और स्वस्थ रहेगा।

      वागभट्ट जी ने मनुष्य जीवन स्वस्थ और दीर्घायु के लिए बहुत से सूत्रों की स्थापना की है, उनमें से एक सूत्र यह है, कि आप ऐसा भोजन ना करो, जिसमें सूर्य का प्रकाश में न जाए, पवन का स्पर्श ना हो। ऐसा खाना जिसमें सूर्य का प्रकाश पड़ता हो और पवन का स्पर्श हो तो वह खाना अमृत तुल्य होता है।
मिट्टी के बर्तनों में खाना बनाना सर्वश्रेष्ठ है। जानिए क्यों? मिट्टी के बर्तनों में खाना बनाना सर्वश्रेष्ठ है। जानिए क्यों? Reviewed by Chandra Sharma on August 27, 2020 Rating: 5

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