* प्यास के वेग को कभी मत रोको: वाग्भट्ट जी कहते हैं, कि हमारे शरीर में कुछ ऐसे वेग होते है, जिन को कभी नहीं रोकना चाहिए, जैसे- मल का वेग, मूत्र का वेग, प्यास का वेग आदि। वागभट्ट जी कहते हैं कि जब यह वेग आएं, शरीर में। तो कभी भी नहीं रुकना चाहिए। ऐसे ही एक वेग हमारे शरीर में है, प्यास का वेग।
प्यास एक बहुत बड़ा वेग है। वाग्भट्ट जी कहते हैं, कि जब प्यास लग रही है तो पानी जरूर पीजिए, रोकिए मत प्यास को। लेकिन पीने का तरीका है, वो ध्यान में रखना है। सिप-सिप करके पीना है। बहुत तेज प्यास लगे, तब भी पानी सिप-सिप करके ही पिए। बहुत तेज पानी कभी भी पीने की कोशिश मत करें और वो ये कहते हैं कि जल्दी पानी पीने की जो आदत होती है, उससे दो बीमारियां बहुत जल्दी लग जाती हैं। एक तो हर्निया वाग्भट्ट जी ने उन्हें कहा है, आंत का उतरना और दूसरा अपेंडिसाइटिस। पानी को जल्दी-जल्दी पीने में यह दो बीमारियां सबसे ज्यादा लगती है।
यदि आपकी उम्र बढ़ गई है और फिर भी पानी आप जल्दी-जल्दी पीते हैं, तो हाइड्रोसील की बीमारी भी होगी, प्रोस्टेट की भी प्रॉब्लम आ सकती है। इसलिए हमेशा पानी के पीने का नियम ध्यान रखें। सिप-सिप करके ही पिए। लेकिन जब भी प्यास आए, पानी पीजिए प्यास को रोके मत। एक ही जगह पर उन्होंने कहा है, कि बिना प्यास के पानी पीजिए। वो सुबह का समय है। उषः पान के बारे में जो बात उन्होंने की है, वह सवेरे का समय, ब्रह्म मुहूर्त का समय। ब्रह्म मुहूर्त हमेशा सूर्य उदय से लगभग डेढ़ घंटे पहले का माना जाता है। तो ब्रह्म मुहूर्त के समय आप जरूर पानी पीजिए, बिना प्यास के।
वही एक समय उन्होंने कहा है, कि आप बिना प्यास के पानी पी सकते हैं। बाकी पूरे दिन में जब भी प्यास लगे तो पानी जरूर पीजिए। बस नियम वही है, खाने के तुरंत बाद पानी मत पीजिए। अगर खाने के तुरंत बाद प्यास लगी है, तो छाछ पीकर, मट्ठा पीकर या जूस पीकर प्यास को बुझाइये और डेढ़ घंटे बाद आप पानी पीकर प्यास को बुझा सकते हैं। प्यास एक वेग है, इसको रोके मत। नहीं तो क्या होगा, प्यास रोकने से लगभग 58 रोगों के होने की संभावना हो जाती है। इसलिए यह कहा जाता है कि प्यास लगने पर आप यह यह कभी मत करें।
दूसरी तरफ उषः पान के समय के छोड़कर, बाकी किसी भी समय में जबरदस्ती पानी पिएंगे, तब भी तकलीफ होने वाली है। हर जगह वाग्भट्ट जी कहते हैं, कि मध्य मार्ग रहिए, ना तो इधर जाइए और ना ही उधर। पानी जब भी पीना है, तो हमेशा बैठकर सिप-सिप करके ही पीजिए। खड़े होकर पानी पीने के लिए बिल्कुल निषेध आयुर्वेद में बोला गया है। पानी हमेशा बैठकर ही पानी पीजिए।
प्यास के वेग को कभी न रोकें। क्यों है ये खतरनाक
Reviewed by Chandra Sharma
on
August 26, 2020
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