चाणक्य नीति - सोते हुए सांप के साथ ऐसा करने का मतलब है मौत को आमंत्रण...

सोते हुए सांप के साथ ऐसा करने का मतलब है मौत को आमंत्रण...
सांप एक ऐसा जीव है जिस देखते ही साहसी लोगों के भी पसीने छूट जाते हैं। इसी वजह से इनसे दूर ही रहना चाहिए। जिस प्रकार सांप को नहीं छेडऩा चाहिए ठीक वैसे ही आचार्य चाणक्य ने प्राणी बताएं हैं जिनसे दूर रहना चाहिए-

आचार्य कहते हैं-
अहिं नृपं च शार्दूलं बरटि बालकं तथा।
परश्वानं च मूर्खं च सप्त सुप्तान्न बोधयेत्।।


सांप, राजा, शेर, सुअर, बालक, दूसरों का कुत्ता और मूर्ख, ये सातों यदि सो रहे हों तो इन्हीं नहीं जगाना चाहिए।

आचार्य चाणक्य कहते हैं यदि कहीं आपको सोता हुआ सांप दिख जाए तो उससे दूर से ही निकल जाएं। उसे किसी प्रकार छेडऩे का साहस न दिखाएं। अन्यथा आपके जीवन पर मौत का संकट गहरा सकता है। सभी जानते हैं विषैले सांप के डंसने के बाद व्यक्ति का बचना काफी मुश्किल हो जाता है। अत: सोते हुए सांप को जगाना नहीं चाहिए।

चाणक्य के अनुसार किसी राजा को नींद से जगाने का दु:साहस नहीं करना चाहिए। ऐसा करने पर राजा का क्रोध झेलना पड़ सकता है। यदि कोई शेर या जंगली जानवर सो रहा है तो उससे भी दूर से ही निकल जाना चाहिए। अन्यथा प्राणों का संकट खड़ा हो सकता है। यदि कोई सुअर सो रहा हो तो उसे भी नहीं जगाना चाहिए। अन्यथा वह उठते ही हर जगह गंदगी फैला देगा। इसके अलावा यदि कोई छोटा बच्चा सो रहा है तो उसे भी न उठाएं। अन्यथा उसे चुप कराना बहुत मुश्किल होगा। यदि आप किसी के घर जाएं और उनका कुत्ता सो रहा है तो उसे जगाने से भूल न करें। वह आपको कांट सकता है। अंतिम सातवां प्राणी है मूर्ख व्यक्ति। यदि किसी मूर्ख व्यक्ति को जगा दिया तो उसे समझना लगभग असंभव ही है। ऐसे में विवाद ही बढ़ेगा।
चाणक्य नीति - सोते हुए सांप के साथ ऐसा करने का मतलब है मौत को आमंत्रण...  चाणक्य नीति - सोते हुए सांप के साथ ऐसा करने का मतलब है मौत को आमंत्रण... Reviewed by Naresh Ji on March 01, 2022 Rating: 5

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