यह है असफलता से बचने का अहम सूत्र
सफलता इंसान को ऊर्जावान बनाती है। कामयाबी इंसान को शरीर, मन और विचारों के स्तर पर पूरे विश्वास और उत्साह से भर देती है। तब असंभव बातें भी संभव लगती है। कामयाबी से साधारण व्यक्ति भी असाधारण बनकर दूसरों की नजरों में प्रेरणा बन जाता है। अनेक लोग मात्र धन, सुविधा या अनुकूल हालात को ही ऐसी सफलता का कारण मानते हैं। जबकि धर्मशास्त्रों के मुताबिक कामयाबी के लिए इन बातों के अलावा भी एक गुण अहम है, जो हर इंसान में होना जरूरी है। जानते हैंअसल में जीवन में काम ही इंसान को पहचान और सम्मान देता है। हिन्दू धर्म शास्त्रों में भी कर्म को ही सुख और सफलता का मंत्र बताया गया है। यह कर्म तभी संभव है जब इंसान में उद्यम यानी मेहनत और परिश्रम का भाव संकल्प की तरह मौजूद रहे। यही कारण है कि शास्त्र लिखते हैं कि -
आलस्यं हि मनुष्याणां शरीरस्थो महिरिपु:।
नास्त्युद्यमसमो बन्धु: कुर्वाणो नावसीदति।।
संदेश है कि परिश्रम की भाव ही हर इंसान का सबसे अच्छा मित्र है। जिसके रहते कोई भी व्यक्ति कभी भी नाकामी या पतन का सामना नहीं करता है। जबकि इसके विपरीत आलस्य यानी काम को टालने या बचने की मानसिकता इंसान के लिये दुश्मन बनकर बार-बार नाकामयाबी का मुंह देखने को मजबूर करती है।
यह है असफलता से बचने का अहम सूत्र
Reviewed by Naresh Ji
on
February 11, 2022
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