यह मौत में भी देता है साथ!

यह मौत में भी देता है साथ!
यह सभी जानते हैं कि जन्म के समय हर व्यक्ति खाली हाथ आता है और मौत होने पर खाली हाथ चला जाता है। यहां तक कि माता-पिता, भाई-बहन, पत्नी, पुत्र, पुत्री सहित अनेक संबंधी भी मृत शरीर का साथ छोड़ देते हैं। किंतु धर्म शास्त्रों में लिखी बातों पर गौर करें तो व्यक्ति अकेला नहीं जाता है, बल्कि उसके साथ जाने वाला भी कोई होता है। कौन है वह जो हर व्यक्ति के साथ जीवन ही नहीं मृत्यु में भी साथ निभाता है? जानते हैं -

धर्म शास्त्रों में यह बात गहराई से समझकर व्हार में अपनाई जाए तो संभवत: व्यक्ति ही नहीं हमारे आसपास फैले अशांत और कलह भरे माहौल को खुशहाल बना सकती है। क्योंकि यह बात जीवन से जुड़ी सच्चाई ही उजागर नहीं करती बल्कि व्यावहारिक संदेश भी देती है।

शास्त्र लिखते हैं कि -
मृतं शरीरमुत्सृज्य काष्टलोष्टसमं जना:।
मुहूर्तमिव रोदित्वा ततोयान्ति पराङ्मुखा:।।
तैस्तच्छरीमुत्सृष्टं धर्म एकोनुगच्छति।
तस्माद्धर्म: सहायश्च सेवितव्य: सदा नृभि:।।

इसका सरल और व्यावहारिक अर्थ यही है कि मृत्यु होने पर व्यक्ति के सगे-संबंधी भी उसकी मृत देह से कुछ समय में ही मोह या भावना छोड़ देते हैं और अंतिम संस्कार कर चले जाते हैं। किंतु इस समय भी मात्र धर्म ही ऐसा साथी होता है, जो उसके साथ जाता है।

इस बात में संकेत यही है कि धर्म पालन यानि व्यक्ति द्वारा जीवन में किए गए अच्छे काम ही उसकी पहचान, व्यक्तित्व और चरित्र बनाते हैं। यह तभी संभव है जब व्यक्ति ने जीवन में स्वभाव, व्यवहार और बोल में प्रेम, सच, दया, भलाई जैसी बातों को अपनाया हो। इसलिए माना गया है कि ऐसा व्यक्ति मृत्यु के बाद भी लोगों की यादों में हमेशा जीवित रहता है।

धर्म के नजरिए से यही भाव व्यक्ति की मृत्यु होने पर धर्म के साथ जाने से जुड़ा है। इसलिए जहां तक संभव हो जिंदग़ी में अच्छा और ऊंचा उठने का संकल्प रखें। ताकि जीवन में ही नहीं मौत के पहले भी मन अशांत और बेचैन न रहे।

यह मौत में भी देता है साथ! यह मौत में भी देता है साथ! Reviewed by Naresh Ji on February 22, 2022 Rating: 5

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