आगे बढ़ना है तो अपनाएं श्री हनुमान के ये सूत्र
आज अनेक युवाओं के संघर्ष भरे जीवन का एक बड़ा कारण लक्ष्य का अभाव भी है। जिससे तमाम कोशिशों के बाद भी अनेक अवसरों पर वह असफलता का सामना करते हैं। हालांकि लक्ष्य न साधने या एकाग्रता भंग होने का कारण कभी-कभी विपरीत हालात भी होते हैं। लेकिन ऐसे ही बुरे वक्त के थपेड़ों से जूझकर जो मकसद को पा ले, ऐसा चरित्र ही दुनिया में प्रेरणा बन जाता है।हिन्दू धर्म शास्त्रों में रुद्रावतार श्री हनुमान का चरित्र शक्ति, ऊर्जा, बल के सही उपयोग और मजबूत इरादों से लक्ष्य भेदने के सूत्र सिखाता है। यहां जानते हैं रामायण में श्री हनुमान से जुड़े प्रसंगों के माध्यम से कुछ ऐसे ही अहम सूत्र -
रावण द्वारा सीताहरण के बाद श्री हनुमान ने माता सीता की खोज में लंका तक पहुंचते तक अनेक मुश्किलों का सामना किया। लेकिन इस दौरान अपने लक्ष्य के प्रति वह इतने दृढ़ थे कि उसको पाने के लिए उन्होंने बुद्धि, बल और साहस से सारी मुसीबतों को मात दी। यहां जानते हैं क्या सिखाते हैं श्री हनुमान -
मैनाक पर्वत - दरअसल, मैनाक पर्वत कर्मशील को विश्राम के लालच का प्रतीक है, ऐसा भाव लक्ष्य की ओर बढ़ते हुए कहीं न कहीं आता है। श्री हनुमान द्वारा इसे ठुकराकर कर आगे बढऩा यही संदेश देता है कि लक्ष्य को पाना है तो हमेशा गतिशील रहें।
सुरसाराक्षसी - सुरसा उन बाधाओं और उतार-चढ़ाव का प्रतीक है, जो लक्ष्य में रुकावटे डालते हैं। किंतु श्री हनुमान ने अपने आकार को बढ़ा-छोटा कर यही संदेश दिया कि हालात के मुताबिक ढल कर लक्ष्य से ध्यान न हटाएं।
सिंहिका - मकसद को पाने के लिए ऐसा वक्त भी आता जब इंसान के मन में दूसरों की सफलता से द्वेष या ईर्ष्या के भाव पैदा होते हैं, जिससे लक्ष्य पाना मुश्किल हो सकता है। सिंहिका ऐसे ही बुरे भावों की प्रतीक है। जिसे मारकर श्री हनुमान ने यही संदेश दिया कि लक्ष्य को पाने के लिए ऐसी सोच से दूर हो जाना चाहिए।
लंका और लंकिनी - लंका और उसकी रक्षक लंकिनी असल में खूबसूरती, मोह और आसक्ति का रूप है। जिसके कारण कोई भी संत और तपस्वी भी लक्ष्य से भटक सकता है। किंतु श्री हनुमान लंकिनी को मारकर और लंका के सौंदर्य से प्रभावित हुए बगैर सीता की खोज कर लंका में आग लगाकर यही संकेत करते हैं कि लक्ष्य को पाने के लिए प्रलोभन, मोह, आकर्षण से दूर रहना ही हितकर होता है।

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