रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के आयुर्वेदिक उपाय / immunity power kaise badhaen

नमस्कार मित्रों
जैसा कि आप सभी जानते हैं कि आज के इस समय में बीमारियों ने मनुष्य को चारों तरफ से घेर लिया है। इसका मुख्य कारण मनुष्य का प्राकृतिक जीवन शैली से दूर होना।जिससे कि मनुष्य की रोग प्रतिरोधक क्षमता काफी हद तक कम हो चुकी है।

तो आज के इस आर्टिकल में हम आपको विशुद्ध रूप से बताने जा रहे हैं कुछ अनमोल उपायों के बारे में। जिससे कि शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को फिर से बढ़ाया जा सके।
पहले भाग में हम आपको कुछ आदतों के बारे में बताएंगे जो की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने में बहुत ही महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है और इस आर्टिकल के दूसरे भाग में हम आपको कुछ आयुर्वेदिक और घरेलू उपचारों के बारे में बताएंगे जिसको अपनाने से आपकी रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ जाएगी।

immunity power kaise badhaen / रोग प्रतिरोधक क्षमता कैसे बढ़ाएं

मित्रो यहाँ पर कुछ आयुर्वेदिक सुझाव दिए जा रहे है जो रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते है।

1. सबसे पहले सुबह उठने की आदत डालना

प्रकृति में हर जीव समय पर उठता है और समय पर सोता है। उसका हर काम प्रकृति के अनुसार होता है। सिर्फ मनुष्य ही एकमात्र ऐसा जीव है जिसने प्रकृति के साल तालमेल को खो दिया है। प्रकृति ने हमारा शरीर इस प्रकार से बनाया है कि हमें सुबह जल्दी उठना है और रात को जल्दी सोना है। 

सुबह हमें 3:00 से 4:00 के बीच यानी कि ब्रह्म मुहूर्त में उठ जाना चाहिए। इस समय उठने से हमारा शरीर जैविक घड़ी के हिसाब से चलने लगता है। सुबह ऑक्सीजन की मात्रा भरपूर होती है और आप खुद अनुभव कर के देखिएगा कि अगर आप ब्रह्म मुहूर्त में उठते हैं तो आप में स्वचालित रूप से एक नई ऊर्जा का संचार होता है।

2. प्राणायाम और योगासन

मित्रों सुबह उठने के पश्चात शौच आदि से निवृत्त होकर हमें अपने शरीर को स्वस्थ बनाने के लिए प्राणायाम और योगासन करने चाहिए। प्राणायाम करने से हमारे शरीर को भरपूर मात्रा में ऑक्सीजन मिलती है जिससे कि हमारे शरीर का प्रत्येक कोशिका को पोषण मिलता है। जिससे की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ जाती है।

प्राणायाम करने से शरीर के साथ साथ हमारा मन भी शांत रहता है। मन हमारे अपने वश में आ जाता है अर्थात हम अपने मन पर नियंत्रण कर पाते हैं। हमें क्रोध नहीं आता, ईर्ष्या नहीं होती, अहंकार नहीं आता और किसी भी प्रकार की टेंशन नहीं होती।

3. फलों का अधिक प्रयोग

मित्रों, आजकल की जीवनशैली में हमने यह देखा है कि हमने प्रकृति को बिल्कुल छोड़ दिया है। हम फलों का प्रयोग खाने में कम करने लगे हैं। पुराने समय में लोग फलों का प्रयोग अधिक करते थे क्योंकि उस समय संसाधनों की कमी होती थी। पेड़ों की संख्या अधिक होती थी। फलदार वृक्ष होते थे। लेकिन आज के समय में व्यस्त जीवनशैली होने के कारण और अपनी जीभ के गुलाम होने के कारण हमने फलों का प्रयोग बहुत कम कर दिया है।

फल हमारे शरीर में मल्टीविटामिन और अन्य सूक्ष्म पोषक तत्व देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं जिसके कारण हमारी रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ जाती है। इसलिए जो व्यक्ति अपनी रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाना चाहते हैं उन्हें फलों का प्रयोग अधिक से अधिक करना चाहिए।

4. उचित आहार लेना

मित्रों, आज हम देख रहे हैं कि हम जीभ के गुलाम होते जा रहे हैं। हम वह चीज खाना ज्यादा पसंद करते हैं जो कि स्वादिष्ट हो भले ही उसमें गुण हो या ना हो। हम इस पर ध्यान नहीं देते हैं। जैसे कि लोग आजकल फास्ट फूड खाना बहुत पसंद करने लगे हैं पिज़्ज़ा, बर्गर, चाऊमीन, मैगी, समोसे, पकोड़े और अन्य चाइनीस आइटम लोग बढ़-चढ़कर खाते हैं। 

न्यूट्रिएंट्स की दृष्टि से देखा जाए तो इस प्रकार की डाइट में न्यूट्रिएंट्स बिल्कुल भी नहीं होते हैं। अगर न्यूट्रिएंट्स ही नहीं होंगे तो आप खुद सोचिए हमारे शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता कैसे बढ़ पाएगी। इसलिए उचित आहार लेना बहुत आवश्यक है जिससे कि शरीर में सभी तत्वों की पूर्ति हो जाती है। 

हमें हरी सब्जियां, दालें, फल, दूध, मक्खन छाछ, दही, चने, अंकुरित अनाज का प्रयोग खाने में जरूर करना चाहिए। इस प्रकार की डाइट से हमारे शरीर में सूक्ष्म पोषक तत्वों की पूर्ति हो जाएगी जिससे कि शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ जाएगी।

5. नमक और चीनी का कम से कम इस्तेमाल

आजकल हम यह देख रहे हैं कि लोग नमक और चीनी का प्रयोग खाने में ज्यादा करने लगे हैं। दोस्तों नमक और चीनी दोनों ही एक प्रकार के सफेद जहर है। चीनी बनाने में बहुत सारे केमिकल्स का प्रयोग होता है और चीनी की न्यूट्रिशन वैल्यू भी जीरो होती है। यानी कि केमिकल्स के साथ जीरो न्यूट्रिशन इसलिए चीनी का प्रयोग नहीं करना चाहिए।
चीनी के स्थान पर शहद या गुड़ या धागे वाली मिश्री का प्रयोग करना चाहिए।

नमक का प्रयोग भी कम से कम करना चाहिए। खासतौर से जो यह सफेद नमक है। जो यह समुद्री नमक है। इसका प्रयोग बिल्कुल नहीं करना चाहिए। इसके स्थान पर सेंधा नमक का प्रयोग करना चाहिए क्योंकि सेंधा नमक में सोडियम की मात्रा बहुत कम होती है जिससे कि यह शरीर को नुकसान नहीं देता है। 

अगर हम नमक और चीनी का प्रयोग कम करेंगे तो हम ब्लड प्रेशर और डायबिटीज से बचे रहेंगे और अगर हम इन बीमारियों से बचे रहेंगे तो दूसरी बीमारियां भी हम पर हावी नहीं हो पाएंगी।

6. अवसाद और तनाव

दोस्तों, आजकल की अप्रकृतिक जीवन शैली के कारण शरीर और मन दोनों रोगों से ग्रसित हो चुके हैं। आप अगर ध्यान से देखेंगे तो अधिकतर हर व्यक्ति किसी न किसी तनाव को अपने साथ लिए हुए हैं। तनाव हमारे जीवन का हिस्सा बनता जा रहा है। लोग छोटी-छोटी बातों पर गुस्सा करने लगते हैं। टेंशन लेने लगते हैं। क्योंकि वह प्रकृति के साथ नहीं जुड़े हुए हैं। 

अगर हमको तनाव और अवसाद के ऊपर जीत पानी है तो पहले हमें अपने मन पर जीत पानी होगी क्योंकि अगर एक बार हमने अपने मन को अपने नियंत्रण में कर लिया तो यह तनाव, अवसाद, काम, क्रोध लोभ, मोह हमारा कुछ नहीं बिगाड़ पाएंगे। 

मन को नियंत्रण में करने के लिए हमें योग का सहारा लेना पड़ेगा। योग का अर्थ प्रभु और आत्मा के मिलन से है और जब योग के माध्यम से आप प्रभु से मिलने का प्रयास करेंगे तो टेंशन, अवसाद चिंता ये सभी बीमारियां आपसे दूर भागेंगी और जब यह दूर भागेंगी तो आपका शरीर भी आपका साथ देगा। उसके सेल्स मजबूत होंगे और उनकी रोग प्रतिरोधक क्षमता भी बढ़ेगी।

7. शारीरिक श्रम

आजकल की जीवनशैली में शारीरिक श्रम लगभग ना के बराबर हो चुका है। हर वस्तु को पाना ऑटोमेटिक हो चुका है। अगर आप आज से 20 साल पहले से आज की जिंदगी कंपेयर करेंगे तो आप देखेंगे कि उस समय पर ना तो वाशिंग मशीन थी। ना ही ऑटोमेटिक चूल्हा था। ना ही मिक्सी थी। ना ग्राइंडर था और व्यक्ति स्वस्थ रहते थे। लेकिन आज आप देखेंगे कि इन सब सुविधाओं के बावजूद हम रोगी होते जा रहे हैं। डायबिटीज और हाइपरटेंशन के पेशेंट आपको लगभग हर घर में मिलेंगे। 

इसका एक मुख्य कारण है शारीरिक श्रम की कमी। हमने अपने शरीर को आलसी बना दिया है। हमारा शरीर शारीरिक श्रम करने का आदि नहीं रहा जिससे कि शरीर में बने टॉक्सिंस पसीने के द्वारा बाहर नहीं निकल पाते हैं और जब भी विषैले तत्व हमारे शरीर नहीं रहते हैं तो यह हमारी रोग प्रतिरोधक क्षमता को भी प्रभावित करते हैं और दूसरा शारीरिक श्रम ना करने से हमारी मांसपेशियों और हड्डियों भी कमजोर पड़ जाती है। 

तो शारीरिक श्रम रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। आप सभी से अनुरोध है कि आप जितना हो सके शारीरिक श्रम कीजिए। अपने शरीर से काम लीजिए जिससे कि आपका शरीर सुडौल मजबूत हो और रोगों से लड़ने की ताकत उसमें पैदा हो जाए।

8. एलोपैथिक दवाई

एलोपैथिक दवाइयां हमारी जीवनशैली का हिस्सा बन चुकी है। लगभग सभी घरों में एलोपैथिक दवाइयां प्रयोग होती हैं। आज के समय में लगभग भारत में हर घर में शुगर, डायबिटीज और हाइपरटेंशन का रोगी जरूर मिलेगा। इनमें से अधिकतर लोग एलोपैथिक दवाइयां लगातार ले रहे हैं। क्योंकि एलोपैथिक में डायबिटीज और हाइपरटेंशन का कोई स्थाई समाधान नहीं है इसलिए यह दवाइयां इन्हें पूरी जिंदगी लेनी पड़ती है। 

दोस्तों क्या आप जानते हैं कि यह दवाइयां आपके शरीर पर कितना साइड इफेक्ट डालती हैं? लगभग हर एलोपैथिक दवाई, छोटे-मोटे सर्दी जुखाम से लेकर कैंसर तक सभी का साइड इफेक्ट होता है। उदाहरण के रूप में अगर हम पेन किलर लेते हैं तो यह हमारी किडनी और लीवर पर साइड इफेक्ट डालती हैं और जब हम लगातार इन दवाइयों का सेवन करते रहते हैं तो यह शरीर के अन्य अंगों को नुकसान पहुंचाती रहती हैं। 

शरीर की एनर्जी का बहुत बड़ा भाग अपने इन अंगों को रिपेयर करने में लगता है जिसके कारण हमारी रोग प्रतिरोधक क्षमता गिरती जाती है। इसलिए हमें एलोपैथिक दवाइयों का प्रयोग मजबूरी में ही करना चाहिए और आयुर्वेद की राह पर चलने का प्रयास करना चाहिए क्योंकि आयुर्वेद एक तो स्थाई समाधान देता है और दूसरा इसका कोई साइड इफेक्ट भी नहीं होता है।

9. व्यसन या नशा

मित्रों, नशे की आदत लोगों में बढ़ती ही जा रही है चाहे वह शराब का नशा हो, सिगरेट, बीड़ी, तंबाकू, पान मसाला, गुटखा आदि का नशा हो। नशे की आदत लोगों में बढ़ती जा रही है। अगर एक बार किसी को नशे की आदत लग गई तो उसको छुड़ाना बहुत ही मुश्किल काम है। 

नशा थोड़ी देर के लिए शरीर को रिलैक्स देता है। लेकिन असल में देखा जाए तो यह रिलैक्स शरीर की मांसपेशियों को नहीं मिलता बल्कि जब कोई व्यक्ति नशा करता है तो उसके दिमाग में कुछ ऐसे केमिकल्स प्रोड्यूस होते हैं जो उसे महसूस करवा देते हैं कि उसको थकान नहीं हो रही है और अक्सर देखा गया है जो व्यक्ति लगातार नशा करते रहते हैं। उनके शरीर के अंग जैसे कि किडनी और लीवर धीरे-धीरे खराब हो जाते हैं और पान मसाला गुटखा आदि से तो कैंसर होने की संभावना भी बहुत बढ़ जाती है। इसलिए व्यक्ति को व्यसन मुक्त या नशा मुक्त रहना चाहिए। अगर हम अपनी रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाना चाहते हैं तो हमें नशे को छोड़ देना चाहिए।

10. ब्रह्मचर्य

दोस्तों, वीर्य हमारे शरीर का आधार होता है। वीर्य के बिना शरीर तेज हीन हो जाएगा। शारीरिक बल कम हो जाएगा। मानसिक बल भी कम हो जाएगा। वीर्य हमारे शरीर के साथ साथ मन का भी आधार है। लेकिन आधुनिक विज्ञान और आजकल के डॉक्टर यह बोलते हैं कि वीर्य का निकलना स्वभाविक है। जिस प्रकार हमें खाना खाने की भूख लगती है उसी प्रकार कामवासना की भी भूख लगती है। लेकिन यह बात बिल्कुल भी सत्य नहीं है। खाना खाने की भूख तो स्वभाविक है। कुछ समय पश्चात भूख अपने आप लगने लग जाती है। लेकिन कामोत्तेजना स्वाभाविक नहीं है। यह हमारे मन पर निर्भर करती है कि हमारा मन किस ओर है।

आप यह बात आजमा कर देख लीजिए यदि आप अपने मन को भगवान की तरफ ले जायेंगे या आध्यात्मिक राह पर चलना शुरू कर देंगे तो आप देखेंगे कि आपका मन धीरे-धीरे कामोत्तेजना से हट जाएगा। फिर यह आपको नहीं सताएगी इसलिए हमें अपने आप को अच्छे कामों में के साथ-साथ आध्यात्मिकता की राह पर भी लगाना चाहिए जिससे कि यह विषय विकार हमारे से दूर हो जाए। जैसे ही हमारा कामोत्तेजना पर नियंत्रण हो जाएगा तो फिर हमें काम उत्तेजना नहीं सताएगी और हम और ब्रह्मचर्य का पालन कर पाएंगे। जहां ब्रह्मचर्य का पालन करेंगे तो आप देखेंगे कि आपका शरीर और मन धीरे-धीरे मजबूत होता जाएगा। आपकी रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती जाएगी और इसके साथ साथ आप में और भी बहुत अच्छे-अच्छे विकास होंगे जैसे कि निर्णय लेने की शक्ति का बढ़ जाना, किसी भी प्रकार की चुनौती को स्वीकार कर लेना और उसको भली-भांति प्रकार से उसका सामना करना, नेतृत्व का गुण आ जाना, ये सभी प्रकार के गुण ब्रह्मचर्य पालन करने से आपके अंदर आते जाएंगे।

मित्रों मैंने खुद अनुभव किया है कि एक बार यदि हम ब्रह्मचर्य के पथ पर बढ़ेंगे तो ईश्वर हमें इस पथ पर बढ़ने में सहायता प्रदान करते हैं और जब हम ब्रह्मचर्य का पालन पूर्ण रूप से करने लगते हैं तो हमारे शरीर में एक आश्चर्यजनक शक्ति का संचार होने लगता है। हमारे में तेज बढ़ने लग जाता है। हमारी बुद्धि एकाग्र होने लगती है और एक आनंद की अनुभूति हमेशा होती रहती है।

11. निद्रा

मित्रों, जैसे कि हम पहले ही बता चुके हैं कि अवसाद टेंशन डिप्रेशन आजकल लगभग हर घर में हो चुकी है। इनके कारण ही निद्रा का अभाव होता जा रहा है अर्थात लोगों को नींद अच्छे से नहीं आती। जब नींद अच्छे से नहीं आती तो शरीर की टूट-फूट और शरीर की कोशिकाओं का रिपेयर नहीं हो पाता। मस्तिष्क के सेल्स कभी रिपेयर नहीं हो पाते। इसका परिणाम यह होता है कि शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता कम हो जाती है। शरीर टूटा टूटा सा महसूस होता है। इसलिए हमें अच्छी नींद की आवश्यकता बहुत अधिक है अगर हमें अपनी रोग प्रतिरोधक क्षमता को बनाए रखना है तो।

अगर किसी कारण से आपको अच्छी नींद नहीं आ रही है तो उस कारण का पता लगाइए। कारण का पता लगाने के बाद उस कारण को समाप्त कर दीजिए। जब कारण समाप्त हो जाएगा तो नींद अपने आप आनी शुरू हो जाएगी। जैसे कि कई बार नींद ना आने का कारण शारीरिक श्रम में कमी होता है। अगर शरीर अच्छी तरह से थका नहीं हुआ है तब भी कई बार नींद नहीं आती है। तो अगर हमें इस चीज का स्थाई समाधान चाहिए तो हमें अपने शरीर को कष्ट देना होगा अर्थात शरीर से काम लेना होगा जिससे कि शरीर थकान महसूस करें और रात को नींद अच्छी आए। 

कई बार निद्रा ना आने का कारण तनाव या अवसाद होता है। तो पहले हमें उस तनाव या अवसाद को ही खत्म करना होगा और यह योग के माध्यम से,  मेडिटेशन के माध्यम से खत्म हो सकता है। उसके बाद जब यह खत्म हो जाएगा तो स्वाभाविक रूप से हमें अच्छी नींद आएगी और जब हमें नींद अच्छी आएगी और हमारी नींद पूरी रहेगी तो यह रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने में हमारी सहायता करेगी।

इसके अलावा कुछ ऐसे आयुर्वेदिक उपाय हैं जिनसे हम अपनी रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ा सकते हैं।

यहाँ पर रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के आयुर्वेदिक और घरेलू उपचार दिए जा रहे है

1. गिलोय का सेवन

गिलोय का सेवन आश्चर्यजनक है। गिलोय का सेवन किसी भी प्रकार के बुखार में लाभदायक है। इसके साथ-साथ गिलोय के सेवन से शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता आश्चर्यजनक रूप से बढ़ती है। यह रक्त में प्लेटलेट्स काउंट को बढ़ाता है। रक्त में वाइट ब्लड सेल्स को बढ़ाता है और उन को मजबूत करता है। 

जैसा कि आप जानते हैं किसी भी विषाणु, जीवाणु या वायरस आदि से लड़ने में सबसे महत्वपूर्ण भूमिका हमारी वाइट ब्लड सेल्स की होती है। अगर हमारे वाइट ब्लड सेल्स अच्छी मात्रा में है और मजबूत होंगे तो हमें रोग नहीं हो पाएगा।
गिलोय इन्हीं वाइट ब्लड सेल्स को बढ़ाती है और इन को मजबूती प्रदान करती है।

2. आमलकी रसायन

आमलकी रसायन आंवला से बनता है। आंवला में विटामिन सी प्रचुर मात्रा में होता है और विटामिन सी रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने का महत्वपूर्ण घटक है। आमलकी रसायन पित्त को कम करने वाला होता है। एसिडिटी को ठीक करता है। 

इसको लेने से शरीक बल,स्मरण शक्ति और खून में बढ़ोतरी होती है। यह शरीर को बल और रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने वाला होता है। इसके साथ-साथ आंवला कई रोगों में भी काम आता है जैसे कि चर्म रोगों में, बालों के रोगों में, पेट के रोगों में, इम्यूनिटी को बढ़ाने में, एंटी एजिंग में,मोटापा कम करने में आदि।

3. चयवनप्राश

चवनप्राश में विभिन्न प्रकार की जड़ी बूटियों मिली होती हैं। हर जड़ी बूटी का अलग अलग अलग लाभ होता है। यह सारी जड़ी बूटियां मिलकर एक अचूक औषधि बनाती है जो कि हमारी रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के साथ-साथ अनेक रोगों को ठीक करती हैं। 

मार्केट में बहुत सारी कंपनी इसके चवनप्राश हैं जैसे कि पतंजलि का, डाबर का, बैद्यनाथ का इत्यादि। इसको लेने की विधि उसकी पैकिंग के ऊपर लिखी होती है और आयुर्वेद में यह कहा जाता है कि इसको लेने के ऊपर से यदि दूध पिया जाए तो उसका असर और अच्छा होता है।

4. शक्तिवर्धक आयुर्वेदिक चूर्ण

अश्वगंधा, सफेद मूसली, हरड़, बहेड़ा, आंवला, गिलोय, शतावरी, सोंठ, काली मिर्च, पिपली, बायबिडांग इन सभी को समान मात्रा में लेकर यवकूट करें और इसका चूर्ण बनाकर रख लें। इस चूर्ण को दूध के साथ लें। लेकिन ध्यान रहे कि यह प्रयोग किसी आयुर्वेदाचार्य के सानिध्य में ही करें क्योंकि यह बहुत ही शक्तिशाली प्रयोग है। 

यह शरीर को शक्ति देने में बहुत ही महत्वपूर्ण प्रयोग है। इसके साथ-साथ कुछ परहेज भी करना होता है। इसलिए मैं कह रहा हूं कि यह प्रयोग किसी आयुर्वेदाचार्य की निगरानी में ही करें। इस चूर्ण को कैसे कब और कितनी मात्रा में लेना है? इन सब बातों के उत्तर आपको आयुर्वेदाचार्य से मिल जाएंगे।

5. फलों का सेवन

दोस्तों प्रत्येक फल का अपना अलग महत्व होता है। प्रत्येक फल में अलग-अलग विटामिंस मिनरल्स और पोषक तत्व होते हैं। फलों के सेवन से हमें यह सभी पोषक तत्व मिल जाते हैं और हमारे शरीर में सभी पोषक तत्व की कमी पूरी हो जाती है जिससे शरीर में खून की कमी दूर होती है और छोटी मोटी अन्य समस्याएं भी दूर हो जाती है। श्वेत रक्त कणिकाएं बढ़ने लगती हैं। प्राणशक्ति सुचारू रूप से काम करने लगती है। शरीर में अम्ल की मात्रा कम होने लगती है और क्षार की मात्रा बढ़ने लगती है। आयुर्वेद में यह कहा जाता है कि हमें अधिक भोजन क्षारीय ही करना चाहिए और सभी के सभी फल क्षारीय होते हैं। 

यदि शरीर की पीएच वैल्यू बैलेंस है यानी कि क्षार की मात्रा सही है तो शरीर में रोग आने की संभावना बहुत कम हो जाती है और जैसा कि मैंने पहले ही कहा है कि फल खाने से पोषक तत्वों की कमी पूरी होती है और वाइट ब्लड सेल्स की संख्या बढ़ती है और उन में मजबूती आती है। जब वाइट ब्लड सेल्स बढ़ने लगते हैं तो शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता भी उसी अनुपात में बढ़ने लगती है। इसलिए शरीर को रोगमुक्त करने के लिए और रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के लिए फलों का सेवन अति आवश्यक है।

6. आयुर्वेदिक काढ़ा

इस कार्य को बनाने के लिए आपको चाहिए गिलोय, तुलसी, काली मिर्च, लौंग, इलायची और अदरक। एक गिलास पानी में 2 से 4 ग्राम गिलोय, तुलसी की पांच पत्तियां, दो काली मिर्च, दो लॉन्ग, दो इलायची और 2 ग्राम अदरक डालें और इसको अच्छी तरह से उबालें। अच्छी तरह से उबरने के बाद इसे गुनगुना होने तक ढक कर ही रख दे। गुनगुना इसलिए कहा जा रहा है क्योंकि आप चूल्हे से उतरने के बाद डायरेक्ट इतने गरम पेय को नहीं पी सकते। गुनगुना होने पर चाय की तरह चुस्कियां लेते हुए से धीरे-धीरे पिए। 

यह प्रयोग आपकी सर्दी, खांसी, नजला, जुकाम को दूर करेगा और आपकी रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने में भी सहायता करेगा और आप वायरल इन्फेक्शन से भी बचे रहेंगे।

निष्कर्ष
मित्रों, हमें ऐसा लगता है कि immunity power kaise badhaen इस प्रश्न का उत्तर आपको इस आर्टिकल से मिल गया होगा। immunity power बढ़ाने के लिए आपको अपनी आदतें बदलनी होगी। प्राकृतिक जीवन शैली के साथ चलना होगा तो आप देखेंगेे कि धीरे-धीरे immunity power बढ़़ जाएगी और अगर आप घरेलू आयुर्वेदिक उपचारों का प्रयोग करेंगें तब आपकी रोग प्रतिरोधक क्षमता ओर तेजी से बढ़ेगी।
धन्यवाद।
रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के आयुर्वेदिक उपाय / immunity power kaise badhaen रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के आयुर्वेदिक उपाय / immunity power kaise badhaen Reviewed by Chandra Sharma on May 29, 2020 Rating: 5

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