ऐसी महिलाओं का जीवन हमेशा रहता है मुसीबत में...
प्राचीन काल से स्त्रियों के संबंध में कई तरह के नियम और परंपराएं बताई गई हैं क्योंकि स्त्रियों को ही मान-सम्मान का प्रतीक माना जाता रहा है। यदि किसी भी कारण से स्त्री के मान-सम्मान या प्रतिष्ठा पर कोई सवाल उठता है तो उससे पूरे परिवार को परेशानियों का सामना करना पड़ता है। इसी वजह से स्त्रियों की सुरक्षा के संबंध में कई नियम बनाए गए हैं। आचार्य चाणक्य कहते हैं कि
नदीतीरे च ये वृक्षा: परगेहेषु कामिनी।
मंत्रिहीनाश्च राजान: शीघ्रं नश्यन्त्यसंशयम्।।
इस श्लोक का अर्थ है कि नदी किनारे लगे हुए पेड़-पौधे, दूसरों के घर में रहने वाली महिला और जिस राज्य में मंत्री न हो उसका राजा बहुत ही जल्द नष्ट हो जाते हैं, समाप्त हो जाते हैं।
चाणक्य के अनुसार जो वृक्ष, पेड़-पौधे किसी नदी के किनारे पर लगे होते हैं उनका जीवन सदैव संकट में ही रहता है। नदी में जब भी बाढ़ आएगी वह पानी में इन पेड़-पौधों को बहाकर ले जाएगी। इसी प्रकार जो स्त्रियां पराए घर में रहती हैं उनका जीवन भी सदैव संकट में ही रहता है। स्त्रियों को केवल अपने माता-पिता, पति के यहां ही रहना चाहिए। इनके अतिरिक्त विशेष परिस्थितियों में वे अपने विश्वसनीय रिश्तेदारों के यहां भी रह सकती हैं लेकिन पराए घर में रहना उनके लिए दुखों का कारण बन सकता है। ऐसी संभावनाएं सदैव बनी रहती हैं।
आचार्य कहते हैं जिस राज्य के राजा का कोई मंत्री या सलाहकार नहीं है वह बहुत ही जल्द नष्ट हो जाता है। राजा मंत्रियों की सलाह के बिना राज्य पर शासन नहीं कर सकता है।
प्राचीन काल से स्त्रियों के संबंध में कई तरह के नियम और परंपराएं बताई गई हैं क्योंकि स्त्रियों को ही मान-सम्मान का प्रतीक माना जाता रहा है। यदि किसी भी कारण से स्त्री के मान-सम्मान या प्रतिष्ठा पर कोई सवाल उठता है तो उससे पूरे परिवार को परेशानियों का सामना करना पड़ता है। इसी वजह से स्त्रियों की सुरक्षा के संबंध में कई नियम बनाए गए हैं। आचार्य चाणक्य कहते हैं कि
नदीतीरे च ये वृक्षा: परगेहेषु कामिनी।
मंत्रिहीनाश्च राजान: शीघ्रं नश्यन्त्यसंशयम्।।
इस श्लोक का अर्थ है कि नदी किनारे लगे हुए पेड़-पौधे, दूसरों के घर में रहने वाली महिला और जिस राज्य में मंत्री न हो उसका राजा बहुत ही जल्द नष्ट हो जाते हैं, समाप्त हो जाते हैं।
चाणक्य के अनुसार जो वृक्ष, पेड़-पौधे किसी नदी के किनारे पर लगे होते हैं उनका जीवन सदैव संकट में ही रहता है। नदी में जब भी बाढ़ आएगी वह पानी में इन पेड़-पौधों को बहाकर ले जाएगी। इसी प्रकार जो स्त्रियां पराए घर में रहती हैं उनका जीवन भी सदैव संकट में ही रहता है। स्त्रियों को केवल अपने माता-पिता, पति के यहां ही रहना चाहिए। इनके अतिरिक्त विशेष परिस्थितियों में वे अपने विश्वसनीय रिश्तेदारों के यहां भी रह सकती हैं लेकिन पराए घर में रहना उनके लिए दुखों का कारण बन सकता है। ऐसी संभावनाएं सदैव बनी रहती हैं।
आचार्य कहते हैं जिस राज्य के राजा का कोई मंत्री या सलाहकार नहीं है वह बहुत ही जल्द नष्ट हो जाता है। राजा मंत्रियों की सलाह के बिना राज्य पर शासन नहीं कर सकता है।
चाणक्य नीति - ऐसी महिलाओं का जीवन हमेशा रहता है मुसीबत में...
Reviewed by Naresh Ji
on
February 28, 2022
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