चाणक्य नीति - पत्नी या प्रेमिका से दूरी और ये 4 बातें हर पल आग में जलाती हैं

पत्नी या प्रेमिका से दूरी और ये 4 बातें हर पल आग में जलाती हैं
किसी भी पुरुष के जीवन में उसकी प्रेमिका या पत्नी सर्वाधिक महत्व रखती है। जब कोई व्यक्ति पूरी तरह किसी स्त्री के प्रेम में डूब जाता है तब वह उससे बिछडऩे का सोच भी नहीं सकता है। फिर भी भाग्यवश जब अलग होना पड़ता है तो उनका जीवन पूरी तरह निराशा में डूब जाता है। इसके अतिरिक्त कुछ और भी बातें हैं जो इंसान को जीते जी ही आग में जलाती हैं।



इस संबंध में आचार्य चाणक्य ने कहा है कि-

कांता-वियोग: स्वजनामानो, ऋणस्य शेष: कुनृपस्य सेवा।
दरिद्रभावो विषमा सभा च, विनाग्निना ते प्रदहन्ति कायम्।।

अर्थात् स्त्री या प्रेमिका का वियोग, अपने मित्रों या रिश्तेदारों से अपमान, कर्ज देने से बचा हुआ ऋण, दुष्ट राजा या मालिक की सेवा, गरीब और स्वार्थी लोगों का साथ ये बातें व्यक्ति को आग में ही जलाती हैं।

आचार्य चाणक्य के अनुसार कोई भी अच्छा इंसान अपनी पत्नी या प्रेमिका का वियोग या उससे दूर होना सहन नहीं कर पाता है। इसके अलावा कोई मित्र या रिश्तेदार अपमान कर देता है तब भी व्यक्ति को दुख का ही सामना करना पड़ता है। अपने लोगों से अपमानित होने के बाद कोई भी व्यक्ति वह समय नहीं भुला पाता है। जो लोग अत्यधिक कर्ज ले लेते हैं और चुकाने में असमर्थ रहते हैं तो उन्हें हर पल ऐसे ऋण का विचार ही असनीय पीड़ा देता है।

जो लोग कपटी और चरित्रहीन राजा या मालिक के सेवक हैं वे हमेशा ही इस बात से दुखी रहते हैं। किसी भी इंसान के लिए सबसे बड़ा दुख है गरीबी। गरीबी एक अभिशाप की तरह ही है। गरीब व्यक्ति हर पल आर्थिक तंगी के चलते जलता रहता है। इसके अलावा यदि किसी व्यक्ति के आसपास के लोग स्वार्थी स्वभाव के हैं और फिर भी उनके साथ रहना पड़ता है तो यह भी एक दुख ही है।

किसी भी पुरुष के जीवन में उसकी प्रेमिका या पत्नी सर्वाधिक महत्व रखती है। जब कोई व्यक्ति पूरी तरह किसी स्त्री के प्रेम में डूब जाता है तब वह उससे बिछडऩे का सोच भी नहीं सकता है। फिर भी भाग्यवश जब अलग होना पड़ता है तो उनका जीवन पूरी तरह निराशा में डूब जाता है। इसके अतिरिक्त कुछ और भी बातें हैं जो इंसान को जीते जी ही आग में जलाती हैं।

इस संबंध में आचार्य चाणक्य ने कहा है कि-

कांता-वियोग: स्वजनामानो, ऋणस्य शेष: कुनृपस्य सेवा।
दरिद्रभावो विषमा सभा च, विनाग्निना ते प्रदहन्ति कायम्।।

अर्थात् स्त्री या प्रेमिका का वियोग, अपने मित्रों या रिश्तेदारों से अपमान, कर्ज देने से बचा हुआ ऋण, दुष्ट राजा या मालिक की सेवा, गरीब और स्वार्थी लोगों का साथ ये बातें व्यक्ति को आग में ही जलाती हैं।

आचार्य चाणक्य के अनुसार कोई भी अच्छा इंसान अपनी पत्नी या प्रेमिका का वियोग या उससे दूर होना सहन नहीं कर पाता है। इसके अलावा कोई मित्र या रिश्तेदार अपमान कर देता है तब भी व्यक्ति को दुख का ही सामना करना पड़ता है। अपने लोगों से अपमानित होने के बाद कोई भी व्यक्ति वह समय नहीं भुला पाता है। जो लोग अत्यधिक कर्ज ले लेते हैं और चुकाने में असमर्थ रहते हैं तो उन्हें हर पल ऐसे ऋण का विचार ही असनीय पीड़ा देता है।

जो लोग कपटी और चरित्रहीन राजा या मालिक के सेवक हैं वे हमेशा ही इस बात से दुखी रहते हैं। किसी भी इंसान के लिए सबसे बड़ा दुख है गरीबी। गरीबी एक अभिशाप की तरह ही है। गरीब व्यक्ति हर पल आर्थिक तंगी के चलते जलता रहता है। इसके अलावा यदि किसी व्यक्ति के आसपास के लोग स्वार्थी स्वभाव के हैं और फिर भी उनके साथ रहना पड़ता है तो यह भी एक दुख ही है।
चाणक्य नीति - पत्नी या प्रेमिका से दूरी और ये 4 बातें हर पल आग में जलाती हैं    चाणक्य नीति - पत्नी या प्रेमिका से दूरी और ये 4 बातें हर पल आग में जलाती हैं Reviewed by Naresh Ji on February 28, 2022 Rating: 5

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