चाणक्य नीति - जो पास है उसे छोड़कर दूसरी की ओर भागना मूर्खता है

जो पास है उसे छोड़कर दूसरी की ओर भागना मूर्खता है
सामान्यत: ऐसा देखा जाता है कि व्यक्ति ज्यादा अच्छी वस्तु प्राप्त करने के लिए जो उसके पास है उसे छोड़कर दूसरी की ओर भागता है। इस परिस्थिति में दोनों ही वस्तुएं उसके हाथों से निकल जाती है। ऐसी परिस्थितियों के संबंध में आचार्य चाणक्य कहते हैं कि-


यो ध्रुवाणि परित्यज्य अध्रुवं परिषेवते।
ध्रुवाणि तस्य नश्यन्ति अध्रुवं नष्टमेव हि।।

इस श्लोक का अर्थ है कि जो व्यक्ति निश्चित वस्तुओं को छोड़कर अनिश्चित वस्तुओं की ओर भागता है उसके हाथों से दोनों ही वस्तुएं निकल जाती है। अत: जीवन में निर्धारित लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए इस प्रकार की गलतियां हमें नहीं करना चाहिए।

आचार्य चाणक्य के अनुसार लालची लोगों के साथ अक्सर ऐसा ही होता है, अंत में वह खाली हाथ ही रह जाता है। जो वस्तुएं, सुविधाएं हमारे पास पहले से ही हैं उन्हें छोड़कर अनिश्चित सुविधाओं के पीछे भागने वाले इंसान को अंत में दुख का ही सामना करना पड़ता है। जबकि समझदारी इसी में है कि जो वस्तुएं या सुविधाएं हमारे पास हैं उन्हीं से संतोष प्राप्त करें। इसके विपरित जो सुविधाएं हमारे पास हैं वे भी नष्ट हो जाएंगी।
चाणक्य नीति - जो पास है उसे छोड़कर दूसरी की ओर भागना मूर्खता है  चाणक्य नीति - जो पास है उसे छोड़कर दूसरी की ओर भागना मूर्खता है Reviewed by Naresh Ji on February 23, 2022 Rating: 5

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