असफल होने पर भी अपनी ये आदत ना छोड़ें...


असफल होने पर भी अपनी ये आदत ना छोड़ें...
उत्सव मनाना और सौभाग्य को आमंत्रित करना लगभग एक जैसा है। सफलता का उत्सव तो बहुत लोग मनाते हैंलेकिन असफल होने पर भी उत्सव की वृत्ति न छोड़ें। भारतीय संस्कृति उत्सवों की ही संस्कृति है।
उत्सव का अर्थ यह नहीं होता कि खुशियों का बंटवारा कर लेंबल्कि उत्सव का अर्थ होता हैउत्साह को पैदा करना। सुख और दुख बांटो या न बांटोउनके अपने फैलने के तरीके होते हैंलेकिन उत्साह हमें भीतर से ही लाना पड़ेगा। उत्सव का अर्थ धूम-धड़ाका और भाग-दौड़ ही न मान लें।


सच तो यह है कि जिस दिन आप खूब शांति से बैठ जाते हैंउस दिन आप भरपूर उत्सव में डूबे रहते हैं। तमाशे और उत्सव में यही फर्क है। जिंदगी की चलती हुई गाड़ी में उत्सव उस कील की तरह हैजिसके आसपास पहिया घूम रहा है। हम कहते हैंवाहन चल रहा है।

दरअसल वाहन दो हिस्सों में बंटा है। उसका चलना उसके पहिये पर निर्भर है और पहिये का घूमना उसकी बीच की कील पर निर्भर है। कील रुकी रहती हैपहिया घूमता है और गाड़ी को चलता हुआ बताया जाता है। बस जिंदगी की गाड़ी भी ऐसी ही है। आप घूमते हुए पहिए पर ज्यादा न टिकें। उस रुकी हुई कील पर ध्यान देंजिसे जीवन का केंद्र कहा गया है।

जो सचमुच उत्सव मनाना चाहते हैंवे अपनी प्रशंसा कोउत्साह को उस कील पर टिकाएं। जो आयोजनप्रयोजन कील पर केंद्रित होगा तो वह उत्सव होगा और जब वह पहिए पर आधारित होगा तो तमाशा होगा। जिसमें धूम-धड़ाका होगाजिसमें शोर होगा। खामोशी से मनाया उत्सव जीवन को और संचारित तथा उत्साहित कर देता है।
असफल होने पर भी अपनी ये आदत ना छोड़ें... असफल होने पर भी अपनी ये आदत ना छोड़ें... Reviewed by Naresh Ji on February 15, 2022 Rating: 5

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