यह है अशांति से बचने का बेहतर तरीका
अशांति आज की जीवनशैली का अभिन्न हिस्सा बन चुका है। अनेक लोग अशांत जीवन का कारण बाहर या दूसरों में तलाशते रहते हैं। जबकि सुकून और शांति को पाने का उपाय हर इंसान के पास मौजूद होता है, किंतु वह उसको न अपनाने के कारण बेचैन रहता है। क्या है यह कारण जानते हैं?-दरअसल, सच का दायरा बोल तक खत्म नहीं होता, बल्कि उसकी अहमियत तभी है, जब बोल को कर्म में उतार दिया जाए। अगर हम झूठ के सहारे चलते हैं तो कभी भी भीतर से शांत नहीं रह सकते। शांति के लिए सत्य जरूरी है।
हम परिवार, दोस्तों और सहकर्मियों के साथ होने पर कई बार यह सुनते और कहते हैं कि कथनी और करनी में अंतर नहीं होना चाहिए। इस बात का व्यावहारिक पक्ष देखने पर यह पाते हैं कि अक्सर यह बात हर व्यक्ति दूसरे से चाहता है, किंतु स्वयं का मौका आने पर वह ऐसा करने में चूक जाता है। वास्तव में इस बात में भी सत्य यानि सच का महत्व साफ दिखाई देता है।
सरल शब्दों में आप जब आप अपने व्यक्तिगत, पारिवारिक या सामाजिक कार्यों के लक्ष्यों को बनाते समय जो बातें करें, तो उन बातों को सच्ची लगन और ईमानदारी से पूरा करने की हरसंभव कोशिश करें। ऐसी सच्चाई से मिली सफलता औरों की नजर में भरोसेमंद बनाएगी।
सार यह है कि असफलता से विचलित होकर मान-सम्मान कायम रखने की सोच में दिखावटी या बनावटी बातें की जा सकती है। लेकिन उससे आप सफल नहीं हो सकते। आप खुद से भाग नहीं सकते। बल्कि खुद के प्रति सच्चे और ईमानदार बनने पर ही आप सुख, सफलता और भरोसा पा सकते हैं।
बात साफ है कि जब-जब आप सच के साथ चलेंगे तब सच भी जीवन में सुख, सफलता और शांति लाकर आपका साथ निभाएगा।

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