जादुई खूबी! जिससे पाएं लगातार सफलता
हर इंसान की जिंदगी का काफी समय और बल सफलता पाने या सफलता को कायम रखने में लग जाता है। वहीं दूसरी ओर सच यह भी है कि वक्त के उतार-चढ़ाव से सफलता या असफलता का दौर स्थायी नहीं होता। नाकामी और कामयाबी के दौर में मिले अच्छे-बुरे अनुभव इंसान को कभी सुख देते हैं तो कभी कसक भी छोड़ देते हैं।इंसान के मन को ऐसे छुपे दु:खों से दूर रखने के लिये शास्त्रों व संत-महात्माओं ने कुछ ऐसी व्यावहारिक बातें बताई हैं, जो सफलता या असफलता दोनों ही हालात में हर इंसान की ताकत और खुशियों का कारण बन सकती है। इस बात को इंसान को व्यवहार में उतारना ही चाहिए।
सफलता और सुख का ऐसा ही एक सूत्र है - मीठी वाणी या बोल। जी हां, शब्द और बोल में कटुता जहां भारी दु:खों का कारण बन सकते हैं, वहीं मीठे और कोमल शब्द और वाणी इंसान को गहरी मुसीबतों से बाहर निकाल सकती है।
धार्मिक दृष्टि से भी वाणी में मां सरस्वती का वास माना गया है। इसलिए मीठे वचन मां सरस्वती की उपासना ही हैं। महान ग्रंथ रामचरितमानस रचने वाले संत गोस्वामी तुलसीदास ने लिखा भी है कि -
तुलसी मीठे वचन ते सुख उपजत चहुं ओर।
बसीकरन यह मंत्र है परिहरु बचन कठोर।।
साफ है कि मीठे बोल अपार सुख का कारण बनते हैं। इसलिए वाणी में पहले कोमलता लाने की कोशिश करें। शब्द और आवाज से कर्कशता या कड़े शब्दों को निकालें। इसके साथ ही मानसिक अभ्यास से दूसरों की प्रतिकूल बातों को सुनकर आवेशित होने की आदत पर काबू पाएं, जिससे वचन कठोर हो जाते हैं।
मीठी वाणी और मन के संतुलन और अभ्यास से हर इंसान अच्छी-बुरी स्थितियों में भी दूसरों को अपना बनाकर सहयोग, प्रेम और विश्वास पाता है, जो कामयाबी की राह बेहद आसान बना देते हैं। सरल शब्दों में कहें तो मीठे शब्दों के जादू से सारी दुनिया को मुट्ठी में करना संभव हो सकता है।

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