ऐसे लोग हमेशा रहते हैं दु:खी
सुख के पीछे कहीं न कहीं पाने का भाव जुड़ा है तो दु:ख के पीछे खोने को। जहां व्यक्ति कोशिशों के जरिए ही कुछ पा सकता है, वहीं व्यक्ति के अपने दोष या खामियां ही उसके दु:ख का कारण बन जाती है। किंतु साधारण इंसान दु:खों में खुद के दोष ढूंढने के बजाय दूसरों को कारण मानकर विचार व व्यवहार करता है।हिन्दू धर्म शास्त्रों में इंसान के विचार और व्यवहार को सही और संतुलित करने के लिए अनेक सूत्र बताते हैं। जिनसे हर व्यक्ति अपने दु:ख के कारण जानकर सुखी जीवन बीता सकता है।
धर्म ग्रंथ महाभारत में स्वभाव से जुड़ी कुछ ऐसी बातें बताई गई हैं, जिनके कारण कोई व्यक्ति हमेशा ही दु:खी रहता है। इन दोषों
को दूर कर हर व्यक्ति व्यावहारिक जीवन में बेहतर बदलाव ला सकता है।
महाभारत में लिखा है -
ईर्ष्या घृणो न संतुष्ट: क्रोधनो नित्यशङ्कित:।
परभाग्योपजीवी च षडेते नित्यदु:खिता:।।
सरल शब्दों में मतलब है कि जिन लोगों के स्वभाव में ऐसे दोष होते हैं, वह सदा संताप और कष्टों से घिर होते हैं -
- ईर्ष्या यानी जलन रखने वाला
- घृणा यानी नफरत करने वाला
- असंतोषी
- क्रोधी यानी गुस्सैल व्यक्ति
- हमेशा शंका करने वाला
- दूसरे के भाग्य पर जीवन जीने वाला यानी दूसरों पर पर आश्रित या सुखों पर जीवन बिताना।
ऐसे लोग हमेशा रहते हैं दु:खी
Reviewed by Naresh Ji
on
February 11, 2022
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