आयुर्वेद अनुसार पानी पीने का सही तरीका

पानी पीने का सही तरीका

* पानी को हमेशा सिप-सिप करके ही पिए: आजकल हम लोग बोतल या लोटे को मुंह से लगाकर पानी को गट-गट करके फटाफट अंदर उतार लेते है, तो इस तरह से पानी पीने के लिए आयुर्वेद में बिल्कुल निषेध बोला गया है। वागभट्ट जी कहते हैं कि पानी को हमेशा चुस्कियां ले लेकर ही पिए, मतलब पानी को सिप-सिप करके ही पिए। जैसे- गर्म दूध को पीते हैं, ऐसे।

      पानी को गटागट करके पीने और सिप-सिप करके पीने में जमीन आसमान का अंतर होता है। अंतर यह होता है कि हमारे पेट में भोजन को पचाने के लिए जठराग्नि होती है। इस अग्नि को तीव्र करने के लिए अम्ल होता है, जो प्राकृतिक रूप से पेट में बनता है और मुंह में क्षार बनता है, जिसको लार भी कहते हैं। तो विज्ञान यह कहता है कि यदि आप क्षार और अमल को थोड़ा भी मिलाते है, तो वह न्यूट्रल हो जाता है। मतलब PH का लेवल 7 पर हो जाना, क्योंकि; पानी ना तो अम्ल होता है और ना ही क्षार।

      वागभट्ट जी कहते हैं कि पेट आपका यदि पानी की तरह रहता है, तो अच्छा होगा। वागभट्ट जी के अनुसार जिन लोगों के पेट का ना तो अम्ल बढ़े और ना ही क्षार यानी PH लेवल 7 पर रहता हो, तो ऐसे लोगों की जीने की संभावना 100 वर्ष से भी अधिक की होती है। बिना एक भी दवा खाए और बिना चिकित्सक के पास जाए। इसका कारण यह है, कि यदि आप सिप-सिप करके पानी पीते है, तो ज्यादा लार अंदर जाएगी, जो अम्ल को शांत करने में मदद करेगी और आपका पेट न्यूट्रल रहेगा। इसलिए पानी हमेशा घुट-घुट करके ही पिए और यदि आप गुट गुट करके फटाफट पानी को पीते हैं, तो लार पानी के साथ मिल नहीं पाएगी और वह पानी जो पेट में पहुंचेगा, वह खाली पानी ही होगा। जिससे अम्ल शांत नहीं हो पाएगा।

      जिस प्रकार पशु-पक्षी पानी को पीते हैं। सभी जानवर भी पानी को सिप-सिप करके ही पीते हैं, इसलिए; सभी जानवर हम से ज्यादा स्वस्थ रहते है। किसी को डायबिटीज नहीं, किसी को जॉइंट पेन नहीं, किसी को कुछ भी नहीं होता है।

      यदि आप मोटे है और पानी को सिप-सिप करके पीते हैं और खाने के डेढ़ घंटे बाद ही पानी को पीने की आदत बना लेते हैं, तो आपका वजन कुछ ही दिनों में आधा हो जाएगा। इसका कारण यह है, कि पानी की लार की मेडिकल प्रोपर्टीज  ज्यादा होती है। जैसे- आपने जानवरों को भी देखा होगा कि कभी उनको कोई चोट लगती है, तो वह उसको चाट-चाट कर ही ठीक कर लेते हैं। इसका कारण मुंह की लार ही है।

      वागभट्ट जी कहते हैं कि भारत के वह पुरुष और स्त्रियां बहुत ही दुर्भाग्यशाली है, जो इस लार को अंदर ले ही नहीं जाते है। जैसे- तंबाकू खाने वाले लोग, गुटखा खाने वाले लोग केवल थूकते ही रहते हैं। जिसको बनाने के लिए भगवान ने आपके मुंह के अंदर एक लाख ग्रंथि दी है, जो रात-दिन आपके लिए लार बनाती हैं। यह बहुत ही कीमती होती है, इसका औषधिंए गुण बहुत ही कीमती है और हम लोग इसको थूक देते है, जो कि गलत है।

      वागभट्ट जी कहते हैं, कि सिर्फ एक ही कंडीशन में आप थूक सकते हैं, जब आपका ज्यादा कफ बढ़ा हुआ हो, तभी। इसके अलावा दूसरी कोई कंडीशन नहीं है कि जो आप बार-बार थूकते रहे और यदि आपको पान खाना ही है, तो आप पान जरूर खाइए। लेकिन उसमें कत्था लगाकर मत खाइए। अगर कत्था नहीं लगेगा तो थूकने की जरूरत ही नहीं पड़ेगी। यदि कत्था लगाओगे तो थूकना जरूर पड़ेगा। पान तो पित्त और कफ दोनों का नाश करता है और चूना वात का नाश करता है। इससे वात, पित्त और कफ तीनों ही संतुलित रहेगे। लेकिन तब यदि आप बिना कत्था लगा हुआ पान खाते हैं।
आयुर्वेद अनुसार पानी पीने का सही तरीका आयुर्वेद अनुसार पानी पीने का सही तरीका Reviewed by Chandra Sharma on September 22, 2020 Rating: 5

No comments:

Powered by Blogger.