उस समय पत्नी का मरना है दुर्भाग्य की बात...
शास्त्रों के अनुसार पति और पत्नी का साथ सात जन्मों का माना जाता है। कई बार दुर्भाग्य वश एक ही जन्म में पति-पत्नी मृत्यु के कारण अलग हो जाते हैं। आचार्य चाणक्य कहते हैं कि-
वृद्धकाले मृता भार्या बंधुहस्ते गतं धनम्।
भोजनं च पराधीनं त्रय: पुंसां विडम्बना:।।
बुढ़ापे में पत्नी की मृत्यु अभाग्य ही है। इसी तरह हमारा धन किसी और के हाथ में चला जाए या किसी के गुलाम बनकर जीवन यापन करना ये बातें व्यक्ति के लिए अभाग्य या दुर्भाग्य है।
शास्त्रों के अनुसार पति और पत्नी का साथ सात जन्मों का माना जाता है। कई बार दुर्भाग्य वश एक ही जन्म में पति-पत्नी मृत्यु के कारण अलग हो जाते हैं। आचार्य चाणक्य कहते हैं कि-
वृद्धकाले मृता भार्या बंधुहस्ते गतं धनम्।
भोजनं च पराधीनं त्रय: पुंसां विडम्बना:।।
बुढ़ापे में पत्नी की मृत्यु अभाग्य ही है। इसी तरह हमारा धन किसी और के हाथ में चला जाए या किसी के गुलाम बनकर जीवन यापन करना ये बातें व्यक्ति के लिए अभाग्य या दुर्भाग्य है।
आचार्य चाणक्य के अनुसार -पत्नी एक-दूसरे के लिए सबसे बड़ा सहारा होते हैं। विवाह के बाद दोनों का जीवन आपसी तालमेल और प्रेम से ही आगे बढ़ता है। यदि किसी भी कारण से इन्हें अलग होना पड़े तो यह स्थिति कई परेशानियों को जन्म देती है। पति-पत्नी को एक-दूसरे की सबसे ज्यादा जरूरत बुढ़ापे के समय होती है। उस समय यदि पत्नी मृत्यु को प्राप्त हो जाए तो नि:संदेह यह अभाग्य की बात है। इसी तरह यदि हमारा कमाया हुआ धन किसी ओर को मिल जाए या किसी कारण से वह किसी ओर के हाथ में चला जाए तो यह भी भाग्यहीन होने की निशानी है। साथ ही किसी भी व्यक्ति के लिए सबसे बड़ा नर्क से गुलामी का जीवन। गुलाम व्यक्ति स्वयं के लिए कभी भी कुछ नहीं कर पाता है।
चाणक्य नीति - उस समय पत्नी का मरना है दुर्भाग्य की बात...
Reviewed by Naresh Ji
on
March 01, 2022
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