ऐसा कोई इंसान नहीं है जो कभी दुखी नहीं हुआ...
सुख और दुख, जीवन के ये दो पहलू हैं। ये दोनों ही हर व्यक्ति के जीवन में आते-जाते रहते हैं, हमेशा चलते रहते हैं। ऐसा कोई इंसान नहीं है जिसके जीवन में कभी दुख न आया हो या वह कभी सुखी न हुआ हो। आचार्य चाणक्य कहते हैं कि-
कस्य दोष: कुले नास्ति व्याधिना केन पीडि़ता:।
व्यसनं केन संप्राप्तं कस्य सौख्यं निरंतरम्
सुख और दुख, जीवन के ये दो पहलू हैं। ये दोनों ही हर व्यक्ति के जीवन में आते-जाते रहते हैं, हमेशा चलते रहते हैं। ऐसा कोई इंसान नहीं है जिसके जीवन में कभी दुख न आया हो या वह कभी सुखी न हुआ हो। आचार्य चाणक्य कहते हैं कि-
कस्य दोष: कुले नास्ति व्याधिना केन पीडि़ता:।
व्यसनं केन संप्राप्तं कस्य सौख्यं निरंतरम्
ऐसा कोई इंसान है जिसके कुल में कोई दोष या बुराई नहीं है। ऐसा कोई सा प्राणी है जो कभी किसी रोग से ग्रस्त नहीं हुआ है। ऐसा कौन है जो हमेशा ही सुख प्राप्त करता आया है जिसे कभी दुख नहीं मिला।
इस संबंध में आचार्य चाणक्य कहते हैं कि प्राचीन काल से ही ऐसा कोई वंश नहीं हुआ है जिसमें कोई दोष नहीं है। जो वंश पूरी तरह से निष्पाप है। कभी भी ऐसा कोई व्यक्ति नहीं हुआ है जिसे जीवनभर रोग न हुआ हो, जो कभी किसी बीमारी से पीडि़त न रहा हो। चाहे जितना गुणी इंसान हो यदि वह बुरी आदतों में पड़ जाता है तो उसे गलत कार्यों की लत अवश्य ही पड़ जाएगी। फिर उस इंसान को कष्ट झेलना पड़ते हैं। अत: अभी तक ऐसा कोई प्राणी नहीं हुआ है जिसे दुख न देखने पड़े हो। जो कभी दुखी न हुआ हो।
हमेशा ही हमारे जीवन में केवल सुख ही सुख रहे, ऐसा नहीं हो सकता। कभी-कभी दुख का भी सामना करना पड़ता है। जो लोग सदैव सुखी रहते हैं, खुश रहते हैं उनके जीवन में भी छोटी-छोटी परेशानियां अवश्य ही आ सकती हैं। कोई भी इंसान पूरी तरह से सुखी नहीं हो सकता है। यही प्रकृति का नियम भी है, यही एक अटल सत्य है। हर व्यक्ति को सुख और दुख दोनों का ही सामना करना पड़ता है।
इस संबंध में आचार्य चाणक्य कहते हैं कि प्राचीन काल से ही ऐसा कोई वंश नहीं हुआ है जिसमें कोई दोष नहीं है। जो वंश पूरी तरह से निष्पाप है। कभी भी ऐसा कोई व्यक्ति नहीं हुआ है जिसे जीवनभर रोग न हुआ हो, जो कभी किसी बीमारी से पीडि़त न रहा हो। चाहे जितना गुणी इंसान हो यदि वह बुरी आदतों में पड़ जाता है तो उसे गलत कार्यों की लत अवश्य ही पड़ जाएगी। फिर उस इंसान को कष्ट झेलना पड़ते हैं। अत: अभी तक ऐसा कोई प्राणी नहीं हुआ है जिसे दुख न देखने पड़े हो। जो कभी दुखी न हुआ हो।
हमेशा ही हमारे जीवन में केवल सुख ही सुख रहे, ऐसा नहीं हो सकता। कभी-कभी दुख का भी सामना करना पड़ता है। जो लोग सदैव सुखी रहते हैं, खुश रहते हैं उनके जीवन में भी छोटी-छोटी परेशानियां अवश्य ही आ सकती हैं। कोई भी इंसान पूरी तरह से सुखी नहीं हो सकता है। यही प्रकृति का नियम भी है, यही एक अटल सत्य है। हर व्यक्ति को सुख और दुख दोनों का ही सामना करना पड़ता है।
चाणक्य नीति - ऐसा कोई इंसान नहीं है जो कभी दुखी नहीं हुआ...
Reviewed by Naresh Ji
on
March 01, 2022
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