इन दो तरीकों से दूर करें चिंता
व्यावहारिक जीवन में तरह-तरह की परेशानियां चिन्ताएं पैदा करती है। किंतु जब यह दिल-दिमाग पर हावी हो जाए तो व्यक्ति को मानसिक रूप से अस्थिर, असंतुलित और उसके मनोबल को भी कमजोर करती है। ऐसी स्थिति में छोटी-छोटी तकलीफें भी बहुत गंभीर दिखाई देती है। लगातार बुरे विचारों के चलते रहने से मन के साथ शरीर भी कमजोर हो जाता है। धर्म के नजरिए से यह स्थिति नैराश्य या निराशा कहलाती है।
चूंकि ऐसे हालात बुद्धि, मन और आध्यात्मिक बल को नुकसान पहुंचाते हैं। इसलिए इससे निकलने के लिए इससे जुड़ी व्यावहारिक समस्या को दूर करने के साथ उस हल के लिए भी नीचे लिखीं दो बातें अपनाना बहुत जरूरी है -
मनोबल कमजोर न हो - निराशा से घिरा व्यक्ति कईं बार भाग्यवादी बन कर्म से दूर हो जाता है। जिससे मिली नाकामी उसका मनोबल गिराती है। इसलिए जरूरी है मन को किसी ऐसे काम में लगाएं, जो आपकी रूचि का होने के साथ आत्मविश्वास को बढ़ाने वाला हो। दिमाग में अच्छे और सुकून देने वाले विचारों को जगह दें। इन छोटी-छोटी बातों से मनोबल के साथ दिमाग की निर्णय क्षमता भी बढ़ती है।
चिंता से भयभीत न हों - चिंता तरह-तरह के डर और असुरक्षा के भाव पैदा करती है। इसलिए जरूरी है शोक, खेद, काल्पनिक और नकारात्मक सोच से यथासंभव बचें। इनके स्थान पर सकारात्मक और व्यावहारिक विचारों को अपनाएं। चिंता के कारणों को एक-एक कर सुलझायें। अगर चिंता खुद के गलत कामों से जुड़ी है, तो उसे स्वीकार कर अपराध बोध से बचें।
इन दो तरीकों से ही उत्साह, प्रेम, शांति, विश्वास के साथ मन और बुद्धि बल पाकर निराशा के दौर से बाहर आना संभव होगा।
इन दो तरीकों से दूर करें चिंता
Reviewed by Naresh Ji
on
February 17, 2022
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