असफलता का डर दूर करने के लिए जरूरी है ये बातें...
उस परमशक्ति, परमात्मा की अनुभूति होने पर व्यक्ति के मन में पहली इच्छा यह आती है कि यदि मैंने पा लिया है उसे, तो वह दूसरों को भी जरूर मिले। मैंने रसपान कर लिया है तो दूसरे भी प्यासे न रहें। लेकिन संसार की उपलब्धियां बांटने में कष्ट होता है।
इस समय संसार में दो बातों के लिए आदमी प्रयासरत और बेताब है- सफलता और प्रसिद्धि। कामयाब आदमी ख्याति जरूर बांटता है। इससे अहंकार को पुष्टि मिलती है। बिना सफल हुए भी कुछ लोग ख्यात होना चाहते हैं, फिर वे कुख्यात बनने की ओर बढ़ जाते हैं।
सफलता को तो लोग फिर भी आपस में बांट लेते हैं, लेकिन प्रसिद्धि का बंटवारा दौलत के बंटवारे से भी अधिक कठिन हो जाता है। बाप-बेटे, भाई-भाई, पति-पत्नी के रिश्ते भी ख्याति के बंटवारे के मामले में ईष्र्या में डूब जाते हैं।
जीवन में सफलता और प्रसिद्धि आने पर उदारता का स्वभाव और बढ़ा देना चाहिए। बिना उदार भाव के ये दोनों आपको ही खा जाएंगी। अपने उदार भाव को अधिक प्रदर्शन में न रखें। जो इसे थोड़ा रहस्यमयी रखेंगे, उन्हें अहंकार से बचने में सुविधा होगी। उदारता हमारे भीतर के बड़प्पन को संवार रही है। जब सेवा करें तो उसे रहस्यमयी न रखें, उसमें पूरा खुलापन रखें।
जिन्हें परमात्मा की अनुभूति होती है, उनके लिए सफलता और सेवा के अर्थ भिन्न हो जाते हैं। वे बांटने को उतावले होते हैं। हमें मिला तो दूसरों को भी मिले, उनका हर कृत्य इस भाव से भरा रहता है। ऐसे लोग सांसारिक वस्तुओं को बांटने में भी संकोच नहीं करते हैं। यह भी प्रेम का एक रूप होगा।
असफलता का डर दूर करने के लिए जरूरी है ये बातें...
Reviewed by Naresh Ji
on
February 15, 2022
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