अगर एकांत में पति-पत्नी का व्यवहार ऐसा हो तो गृहस्थी स्वर्ग है...
सुंदर कांड का प्रसंग है। जब हनुमान ने सीता को राम की अंगुठी दी। सीता चकित थीं और डरी हुई भी। वे ये मानने को तैयार नहीं थीं कि राम का दूत कोई वानर होगा। वो इसे रावण की ही कोई माया समझ रही थीं। हनुमान ने उन्हें समझाया और कहा
रामदूत मैं मातु जानकी। सत्य सपथ करूणानिधान की।।
हे माता मैं भगवान राम का ही दूत हूं। करुणा निधान श्रीराम की ही शपथ खाकर कहता हूं।
जैसे ही हनुमान ने श्री राम को करूणा निधान कहा, सीता को भरोसा हो गया कि ये राम का ही भेजा हुआ दूत है। ऐसा इस कारण से क्योंकि सीता ही भगवान राम को अकेले में करूणा निधान कहती थीं। अपने द्वारा उपयोग किया जाने वाला गुप्त संबोधन जब उन्होंने हनुमान के मुंह से सुना तो तत्काल पहचान लिया।
आज के दाम्पत्य में ऐसा प्रेम नहीं है। पत्नी-पति के एकांत में संबोधन ऐसे हो सकते हैं जो शायद सार्वजनिक नहीं किए जा सकते हों। हमारे दाम्पत्य में अगर डोर प्रेम, आदर और विश्वास की है तो उससे बने संबोधन भी निश्चित ही सुंदर होंगे।
पति-पत्नी को कोशिश करनी चाहिए कि एकांत में भी एक-दूसरे के लिए उपयोग किए जाने वाले संबोधनों में प्रेम, आदर दोनों झलके। अक्सर पति-पत्नी का एकांत सिर्फ तनाव या वासना इन दो भावों में से किसी एक का केंद्र होकर रह जाता है।
अगर हम एक दूसरे के प्रति एकांत में भी वैसा ही आदर और प्रेम रखें तो रिश्तों में तनाव कभी आ ही नहीं सकता। वरन दाम्पत्य महकने लगता है। हमेशा प्रेम से रहें। जीवन साथी से कठोर लहजे में बात करने से पहले उसकी और खुद की, दोनों की गरिमा का ध्यान रखना जरूरी है।
सुंदर कांड का प्रसंग है। जब हनुमान ने सीता को राम की अंगुठी दी। सीता चकित थीं और डरी हुई भी। वे ये मानने को तैयार नहीं थीं कि राम का दूत कोई वानर होगा। वो इसे रावण की ही कोई माया समझ रही थीं। हनुमान ने उन्हें समझाया और कहा
रामदूत मैं मातु जानकी। सत्य सपथ करूणानिधान की।।
हे माता मैं भगवान राम का ही दूत हूं। करुणा निधान श्रीराम की ही शपथ खाकर कहता हूं।
जैसे ही हनुमान ने श्री राम को करूणा निधान कहा, सीता को भरोसा हो गया कि ये राम का ही भेजा हुआ दूत है। ऐसा इस कारण से क्योंकि सीता ही भगवान राम को अकेले में करूणा निधान कहती थीं। अपने द्वारा उपयोग किया जाने वाला गुप्त संबोधन जब उन्होंने हनुमान के मुंह से सुना तो तत्काल पहचान लिया।
आज के दाम्पत्य में ऐसा प्रेम नहीं है। पत्नी-पति के एकांत में संबोधन ऐसे हो सकते हैं जो शायद सार्वजनिक नहीं किए जा सकते हों। हमारे दाम्पत्य में अगर डोर प्रेम, आदर और विश्वास की है तो उससे बने संबोधन भी निश्चित ही सुंदर होंगे।
पति-पत्नी को कोशिश करनी चाहिए कि एकांत में भी एक-दूसरे के लिए उपयोग किए जाने वाले संबोधनों में प्रेम, आदर दोनों झलके। अक्सर पति-पत्नी का एकांत सिर्फ तनाव या वासना इन दो भावों में से किसी एक का केंद्र होकर रह जाता है।
अगर हम एक दूसरे के प्रति एकांत में भी वैसा ही आदर और प्रेम रखें तो रिश्तों में तनाव कभी आ ही नहीं सकता। वरन दाम्पत्य महकने लगता है। हमेशा प्रेम से रहें। जीवन साथी से कठोर लहजे में बात करने से पहले उसकी और खुद की, दोनों की गरिमा का ध्यान रखना जरूरी है।
अगर एकांत में पति-पत्नी का व्यवहार ऐसा हो तो गृहस्थी स्वर्ग है...
Reviewed by Naresh Ji
on
February 18, 2022
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