जिस जगह पर ये 5 चीजें न मिले वहां रुकना नहीं चाहिए...
हमें कहां रहना चाहिए और कहां नहीं... किन स्थानों से हमें तुरंत हट जाना चाहिए। इस संबंध में आचार्य चाणक्य ने बताया है कि-
यस्मिन देशे न सम्मानो न वृत्तिर्न च बांधव:।
न च विद्यागमोऽप्यस्ति वासस्तत्र न कारयेत्।।
इस संस्कृत श्लोक का अर्थ है कि जिस देश में न सम्मान हो, न रोजी हो, न कोई मित्र या भाई या रिश्तेदार हो, जहां विद्या न हो, जहां कोई गुण न हो वैसे स्थानों पर निवास नहीं करना चाहिए। इन जगहों को तुरंत छोड़ देना चाहिए।
आचार्य चाणक्य कहते हैं जिस जगह हमें आदर-सम्मान न मिलें, जिस स्थान पर पैसा कमाने का कोई साधन न हो, जहां हमारा कोई मित्र या रिश्तेदार न हो, जहां कोई ज्ञान न हो और जहां कोई गुण या अच्छे कार्य न हो, वैसे स्थानों को तुरंत छोड़ देना चाहिए। यही समझदार इंसान की पहचान है।
हमें कहां रहना चाहिए और कहां नहीं... किन स्थानों से हमें तुरंत हट जाना चाहिए। इस संबंध में आचार्य चाणक्य ने बताया है कि-
यस्मिन देशे न सम्मानो न वृत्तिर्न च बांधव:।
न च विद्यागमोऽप्यस्ति वासस्तत्र न कारयेत्।।
इस संस्कृत श्लोक का अर्थ है कि जिस देश में न सम्मान हो, न रोजी हो, न कोई मित्र या भाई या रिश्तेदार हो, जहां विद्या न हो, जहां कोई गुण न हो वैसे स्थानों पर निवास नहीं करना चाहिए। इन जगहों को तुरंत छोड़ देना चाहिए।
आचार्य चाणक्य कहते हैं जिस जगह हमें आदर-सम्मान न मिलें, जिस स्थान पर पैसा कमाने का कोई साधन न हो, जहां हमारा कोई मित्र या रिश्तेदार न हो, जहां कोई ज्ञान न हो और जहां कोई गुण या अच्छे कार्य न हो, वैसे स्थानों को तुरंत छोड़ देना चाहिए। यही समझदार इंसान की पहचान है।
चाणक्य नीति - जिस जगह पर ये 5 चीजें न मिले वहां रुकना नहीं चाहिए...
Reviewed by Naresh Ji
on
February 23, 2022
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