प्याज एक औषधि है न कि कोई सब्जी। जानिए कैसे

प्याज एक औषधि है न कि कोई सब्जी। जानिए कैसे

* कच्चे प्याज खाने के फायदे: कच्चा प्याज पित्त के रोगों को शांत करने में बहुत सहायक होता है। गैस बन्ना, खट्टी-खट्टी डकार आने, मुंह में पानी आना, खाने का पाचन नहीं होना, उल्टी होना यह सब पित्त के रोग होते है। पित्त के रोगों को सबसे ज्यादा संतुलित करने की जो ताकत होती है, वो कांदे में ही होती है। कांदा यानी कच्चा प्याज। कांदा पित्त के रोगों को शांत करने की सबसे अच्छी औषधि होती है। पित्त के रोग होने की वजह से शरीर को जितने भी समस्याएं होती हैं, उन सब समस्या को दूर करने में कांदा ही सबसे अच्छी औषधि होता है।

      आंखों के रोग में भी कांदा फायदा देता है। अगर मोतियाबिंद को गलाने की ताकत दुनिया में किसी चीज में है, तो वह कांदे के रस में है। बिना ऑपरेशन अगर आपको अपनी आंखें ठीक रखनी है, तो कांदे के रस की दो-दो बूंदे रात को अपनी आंखों में डालकर सो जाइए। यदि आप चाहते है, कि जिंदगीभर आपकी आंखों को चश्मा ना चढ़े और आपकी आंखें खराब ना हो, तो कांदे के रस को आप अपनी आंखों में डालिए। अगर आप में से किसी को भी मोतियाबिंद हो गया हो और आप नहीं चाहते कि आपका ऑपरेशन हो, तो आप कांदे के रस से मोतियाबिंद को गला सकते है और अपनी आंखें को ठीक कर सकते हैं।

      कांदे में भी सफेद कांदा काम का होता है, लाल वाला कांदा नहीं। क्योंकि सफेद कांदे में जितने औषधिंए गुण होते है, वही काम के होते है। कांदे के रस को तैयार करने के लिए, एक चम्मच कांदे के रस के साथ, एक चम्मच नींबू का रस मिलाकर, फिर इसमें आप 3 - 4 मघ को मिला दे और एक चम्मच गुलाब जल। फिर इन चारों को मिलाकर एक बोतल में भरकर रख लीजिए और खूब अच्छे से हिलांए। फिर रोज़ उसी बोतल में सें दो-दो बूंदे अपनी आंखों में डालिए। ऐसा 1- 2 महीने तक करने से आपका मोतियाबिंद गलकर ठीक हो जाएगा। कांदे का रस चार-पांच महीने तक खराब भी नहीं होता और इसको नार्मल टेंपरेचर पर ही रखना होता है। बस रात को सोते समय 2-2 बूंदे आंखों में डालते रहिए, 1 - 2 महीने के बाद यह आपका मोतियाबिंद खत्म कर देगा।

        आंख की एक और बीमारी होती है, जिसको ग्लूकोमा कहते हैं। ग्लूकोमा मतलब काला पानी। आंखों में हमेशा काला-काला दिखना और कुछ दिखता ही नहीं। इसके लिए भी यह सबसे अच्छी  दवा होती है। आंखों की एक और बीमारी होती है, जिसको रेटिनल डिटैचमेंट कहते हैं। आंखों का जो रेटिनल होता है, वह आगे या पीछे हो जाता है, तो उसमें भी यह हमेशा काम आता है। इसके अलावा एक दूसरी औषधि इन सब रोगों में उपयोग में की जा सकती है, वो है 'गोमूत्र'। 

      गाय का मूत्र किसी काँच की बोतल में इकटठ्ठा करके रख लीजिए और फिर उसी बोतल में से दो-दो बूंदे रात को सोते समय आंखों में डाल लीजिए। 1 से 2 महीने में यह भी आपका मोतियाबिंद ठीक कर देगा, 2 से 3 महीने में ग्लूकोमा ठीक कर देगा और 3 - 4 महीने में रेटिनल डिटैचमेंट ठीक कर देगा। यदि आप देसी गाय का गोमूत्र  4 महीनें लगातार डालते है, तो इससे आपका चश्मा भी उतर जाएगा।

      गोमूत्र की सबसे अच्छी बात यह होती है, कि इसका कोई साइड इफेक्ट नहीं होता, कोई एक्सपायरी डेट भी नहीं होती और कोई कॉस्ट भी नहीं होती और बहुत सस्ते में हर जगह मिल जाता है। बस इस बात का ध्यान रखें, कि जब भी आप गोमूत्र इकटठ्ठा करके रखे, तो कांच की बोतल में इकटठ्ठा करके रखें। कांच की बोतल में भरकर रखने से गोमूत्र कभी भी खराब नहीं होता। कांच की बोतल में गोमूत्र 40 साल तक सही रखा रहता है।
प्याज एक औषधि है न कि कोई सब्जी। जानिए कैसे प्याज एक औषधि है न कि कोई सब्जी। जानिए कैसे Reviewed by Chandra Sharma on September 21, 2020 Rating: 5

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