चाणक्य नीति - जीवन के अंतिम पल में कोई कुछ नहीं कर सकता...

जीवन के अंतिम पल में कोई कुछ नहीं कर सकता...
हमें ऐसे कर्म करना चाहिए जो बाद में याद किए जा सके। उल्लेखनीय कर्म करने वाले लोगों को ही इतिहास में स्थान मिल पाता है। अत: ऐसे कर्म करें जो हमारी मृत्यु के बाद भी याद किए जा सके।



कैसे कर्म करने चाहिए? इस संबंध में आचार्य चाणक्य ने बताया है कि हमें ऐसे कार्य करने चाहिए जो कभी भी हमारी आत्मा पर बोझ न बने। हमारा हर कार्य राष्ट्रहित और जनहित के लिए ही होना चाहिए और ऐसे कार्य जब तक हमारा शरीर स्वस्थ है तभी तक किए जा सकते हैं। शरीर में जब तक शक्ति है, जब तक हम स्वस्थ है, जब तक हमारा दिमाग नियंत्रण में है तक ही हम सही दिशा में कार्य कर सकते हैं। क्योंकि जब मृत्यु का समय आएगा तो यकीन मानिए हम उस समय कुछ भी कर पाने की स्थिति में नहीं रहेंगे।

आत्मा पर बोझ बढ़ाने वाले कार्य जैसे निजी स्वार्थ के लिए दूसरे लोगों को सताना, उन्हें प्रताडि़त करना हर परिस्थिति में अधार्मिक ही है। कर्म केवल निजी स्वार्थ के लिए नहीं किया जा सकता। ऐसे लोगों की आत्मा मृत ही मानी जाती है जो खुद की इच्छाओं पूरा करने के लिए दूसरों को कष्ट पहुंचाते हैं और अधार्मिक कृत्यों में लिप्त रहते हैं। अत: अपनी आत्मा को बचाने के लिए हमें जो भी करना है वह तब तक ही किया जा सकता है जब तक हम स्वस्थ है। हमारी आत्मा तभी बचेगी जब हम राष्ट्रहित और जनहित में कार्य करेंगे।
चाणक्य नीति - जीवन के अंतिम पल में कोई कुछ नहीं कर सकता...  चाणक्य नीति - जीवन के अंतिम पल में कोई कुछ नहीं कर सकता... Reviewed by Naresh Ji on March 07, 2022 Rating: 5

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