चाणक्य नीति - अपनी तारीफ खुद नहीं करना चाहिए...

अपनी तारीफ खुद नहीं करना चाहिए...
अपनी प्रशंसा या तारीफ भला किसे अच्छी नहीं लगती। सभी चाहते हैं कि उनके कार्यों की प्रशंसा की जाए और इसीलिए वे ऐसे अच्छे कार्य ही करते हैं। इस संबंध आचार्य चाणक्य कहते हैं कि-

औरन के वर्णन किए, गुणहु हीन गुणवान।
इंदौ लघुताई लहै, निज मुख किये बखान।


यदि दूसरे लोग किसी व्यक्ति की प्रशंसा करते हैं तो यह गुणहीन व्यक्ति को भी गुणी बना देती है। इसके विपरित यदि कोई व्यक्ति स्वयं अपने मुंह से खुद की तारिफ करता है तो देवराज इंद्र भी छोटे ही माने जाएंगे।

आचार्य चाणक्य कहते हैं कि किसी व्यक्ति को स्वयं अपनी तारिफ नहीं करना चाहिए। ऐसा करने वाला व्यक्ति उपहास का पात्र बनता है और अन्य लोग उसकी बातों को गंभीरता से नहीं लेते। स्वयं खुद की तारीफ करने वाला चाहे जितना बड़ा हो, उसको वैसा मान-सम्मान और यश प्राप्त नहीं होगा जिसका वह अधिकारी है। हमें सिर्फ अपने कर्म ऐसे करने चाहिए जिससे दूसरे लोग हमारी प्रशंसा करें। ऐसा होने पर व्यक्ति यदि कम गुणी भी होगा तब भी वह समाज में भरपूर मान-सम्मान प्राप्त कर लेगा।
चाणक्य नीति - अपनी तारीफ खुद नहीं करना चाहिए...  चाणक्य नीति - अपनी तारीफ खुद नहीं करना चाहिए... Reviewed by Naresh Ji on March 01, 2022 Rating: 5

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