जानिए कौन किस चीज से खुश होता है?
सभी लोगों के लिए कुछ न कुछ खास बात या चीज होती है जिससे उन्हें खुशी प्राप्त होती है। इस संबंध में आचार्य चाणक्य कहते हैं कि-
तुष्ट होत भोजन किये, ब्राह्मण लखि घन मोर।
पर संपत्ति लखि साधु जन, खल लखि दुख घोर।।
किसी भी ब्राह्मण को यदि स्वादिष्ट भोजन मिल जाए तो वह खुश हो जाता है। मोर बादलों की गरज से खुश होते हैं। सज्जन लोग दूसरों के सुख को देखकर सुखी होते हैं। जबकि बुरे स्वभाव वाले लोग दूसरों के दुख को देखकर प्रसन्न होते हैं।
आचार्य चाणक्य कहते हैं कि किसी भी ब्राह्मण को यदि स्वादिष्ट पकवान मिल जाए तो उसे बड़ी प्रसन्नता होती है। इन्हें तृप्त करने का यही एक सरल मार्ग है। जब भी बादल गजरते हैं, बारिश का वातावरण बनता है तो मोर नाचने लगते हैं, प्रसन्न हो जाते हैं। जिन लोगों का स्वभाव अच्छा होता है, जो सपने में भी किसी का बुरा नहीं सोचते हैं वे दूसरों की खुशी, अन्य लोगों के सुख को देखकर ही प्रसन्न हो जाते हैं। इन लोगों को स्वयं के सुख से इतना सुख नहीं मिलता जितना दूसरों को खुश देखकर सुख प्राप्त होता है।
आचार्य कहते हैं जो भी नीच स्वभाव, दुर्जन लोग होते हैं वे दूसरों को मुसीबत में देखकर ही प्रसन्न होते हैं। इनसे दूसरों की खुशी नहीं देखी जाती, हमेशा अन्य लोगों के साथ बुरा हो, यही प्रयास करते रहते हैं।
सभी लोगों के लिए कुछ न कुछ खास बात या चीज होती है जिससे उन्हें खुशी प्राप्त होती है। इस संबंध में आचार्य चाणक्य कहते हैं कि-
तुष्ट होत भोजन किये, ब्राह्मण लखि घन मोर।
पर संपत्ति लखि साधु जन, खल लखि दुख घोर।।
किसी भी ब्राह्मण को यदि स्वादिष्ट भोजन मिल जाए तो वह खुश हो जाता है। मोर बादलों की गरज से खुश होते हैं। सज्जन लोग दूसरों के सुख को देखकर सुखी होते हैं। जबकि बुरे स्वभाव वाले लोग दूसरों के दुख को देखकर प्रसन्न होते हैं।
आचार्य चाणक्य कहते हैं कि किसी भी ब्राह्मण को यदि स्वादिष्ट पकवान मिल जाए तो उसे बड़ी प्रसन्नता होती है। इन्हें तृप्त करने का यही एक सरल मार्ग है। जब भी बादल गजरते हैं, बारिश का वातावरण बनता है तो मोर नाचने लगते हैं, प्रसन्न हो जाते हैं। जिन लोगों का स्वभाव अच्छा होता है, जो सपने में भी किसी का बुरा नहीं सोचते हैं वे दूसरों की खुशी, अन्य लोगों के सुख को देखकर ही प्रसन्न हो जाते हैं। इन लोगों को स्वयं के सुख से इतना सुख नहीं मिलता जितना दूसरों को खुश देखकर सुख प्राप्त होता है।
आचार्य कहते हैं जो भी नीच स्वभाव, दुर्जन लोग होते हैं वे दूसरों को मुसीबत में देखकर ही प्रसन्न होते हैं। इनसे दूसरों की खुशी नहीं देखी जाती, हमेशा अन्य लोगों के साथ बुरा हो, यही प्रयास करते रहते हैं।
चाणक्य नीति - जानिए कौन किस चीज से खुश होता है?
Reviewed by Naresh Ji
on
March 01, 2022
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