प्रश्न - किसी पराई स्त्री की सुंदरता पर मन मुग्ध हो और वासनात्मक विचार उसके प्रति बार बार उठें, तो उससे कैसे मुक्ति पाऊं? इन विचारों को कैसे आने से रोकूँ?
प्रश्न - किसी पराई स्त्री की सुंदरता पर मन मुग्ध हो और वासनात्मक विचार उसके प्रति बार बार उठें, तो उससे कैसे मुक्ति पाऊं? इन विचारों को कैसे आने से रोकूँ?
उत्तर- विचार की गहराई में जाकर विश्लेषण करो, उस इच्छा-वासना को मिटा दो जो उस विचार को ट्रिगर कर रहा है।
एक पेज में वह इच्छा वासना लिखो, उसे पूजा के दीपक की लॉ में जला दो। स्वयं से कहो संकल्पित होकर मैं इसका त्याग करना चाहता हूँ, हे परमात्मा मुझे शक्ति व साहस दो।
उदाहरण - पराई स्त्री को देखकर या बिन देखे वासनात्मक विचार जन्म ले रहे हैं। अपनी वासना को पहचानो और स्वयं पर कार्य करो कि क्या हाड़ मांस रक्त व मलमूत्र भरे किसी शरीर के बाह्य आवरण पर मुझे आकर्षित होना चाहिए? क्या मुझे समझ नहीं है कि यह गलत वासनात्मक विचार है? मुझे मेरे विवाह के बाद या भविष्य में जिससे विवाह होगा उसके अतिरिक्त सभी स्त्रियों को मातृवत देखना है यह मेरा संस्कार है। सभी पराई स्त्रियां मेरे लिए जगन्माता का स्वरूप है, हे जगन्माता मुझे प्रत्येक पर स्त्री में आपके दर्शन हो और मेरी वासना मिट जाए ऐसी कृपा करें।मेरे अंदर आपके सन्यासी बालक की दृष्टि दे दो।मेरी मदद करो।
स्वयं को पत्र लिखो, और बार बार स्वयं को समझाओ।
उस स्त्री को दुर्गा ग़ायत्री माता मानकर उसके चरणों की मौन मानसिक पूजन करो। उसमें माता का रूप कल्पना करो। बार बार माता भाव जगाने की प्रार्थना माता जगतजननी से करो। जरूर तुम्हारे मनोभाव बदलेंगे, वासना उसके प्रति मिटेगी। वासनात्मक विचारों से मुक्ति मिलेगी।
ध्यान, सन्यास व वैराग्य के भाव निरंतर अभ्यास से तुम्हारे संस्कार बनेंगे। फिर ऐसी समस्या कभी नहिं जन्म लेगी।
Reviewed by Naresh Ji
on
March 03, 2022
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