प्रश्न - *शेयर बाज़ार में किये इन्वेस्टमेंट में भारी नुकसान होने के कारण क्लाइंट को अवसाद हो गया है, उसका मनोबल किस तरह बढ़ाये व उसकी मदद करें।


 प्रश्न - *शेयर बाज़ार में किये इन्वेस्टमेंट में भारी नुकसान होने के कारण क्लाइंट को अवसाद हो गया है, उसका मनोबल किस तरह बढ़ाये व उसकी मदद करें।*


उत्तर- जुआ व सट्टा बाज़ार के आधुनिक रूप शेयर बाजार को कुछ लोग मानते हैं।


जुए और शेयर बाजार में एक ही समानता है कि यहां पर आप अपने निवेश का X गुना लाभ कमा सकते हैं, परंतु

जुए में जीतने की संभावना 50% के बराबर होती है, और आप की जीत आपकी किस्मत पर निर्भर करती है।

जबकि शेयर बाजार इसके बिल्कुल विपरीत है यहां पर लाभ अर्जित करने की संभावना आपके समझ, ज्ञान और विश्लेषण पर निर्भर करती है ना कि किस्मत पर।


जुआ केवल भाग्य पर आधारित है, शेयर बाज़ार में बुद्धिकुशलता, विश्लेषण व बौद्धिक कर्म के साथ साथ क़िस्मत भी चाहिए होती है।


 *तनावप्रबन्धन - एक कला और एक अध्यात्म विज्ञान है* इसे शेयर बाज़ार में भारी नुकसान से ग्रस्त बन्दे पर अप्लाई भी कर सकते हैं।


शेयर बाज़ार का इन्वेस्टर एक सांसारिक चकाचौंध से ग्रस्त मानसिकता का व्यक्ति होता है जो शॉर्टकट में बुद्धि के तिकड़म से जल्दी पैसा कमाने की चाहत रखता है। ऐसे दृष्टिकोण के लोग भी अध्यात्म व ज्योतिष को भी पैसे कमाने के टूल किट की तरह उपयोग करते हैं।


अतः इनका मानसिक आध्यात्मिक उपचार कठिन है मगर असम्भव नहीं है।


किसी परिस्थिति जन्य घटना/समस्या को कुछ लोग समस्या की तरह लेते हैं और कुछ लोग चुनौती की तरह लेते हैं।


*चुनौती* की तरह समस्या को लेने वाला व्यक्ति *समाधान केंद्रित* हो समाधान ढूंढने में जुट जाता है। इसलिए *उसके विचार हल्के नीली और पीली आभा लिए समाधान की खोज ब्रह्माण्ड में विचरते हुए सम्बन्धित समस्या का समाधान ढूंढते हैं*, समस्या के समाधान से सम्बंधित विचार आकर्षित करता है । एक प्रकार से व्यक्ति एकाग्र और ध्यानस्थ हो जाता है। सकारत्मकता से भरा हुआ होता है।  व्यक्ति अंदर से मजबूत होता चला जाता है और आत्मविश्वास बढ़ता चला जाता है।


*समस्या को समस्या समझने वाला व्यक्ति, समस्या केंद्रित होकर चिंता करने लगता है।* इसलिए उसके *विचार समस्या का बोझ लिए भूरे और काले रंग लिए* ब्रह्मांड से समस्या से जुड़े नकारात्मक विचार आकर्षित करते हैं। नकारात्मक विचार दिमाग़ की नसों में खिंचाव/तनाव उतपन्न करके कार्टिसोल जैसे ज़हरीले हार्मोन्स रिलीज़ करवाता है। व्यक्ति के व्यक्तित्व में बिखराव उतपन्न होता है और अंदर ही अंदर टूटने लगता है।


*तनाव का वास्तव में मतलब है कि समस्या से मानसिक प्रबंधन छोटा होना*


*तनावमुक्त होने का वास्तव में मतलब है कि समस्या से मानसिक प्रबन्धन बड़ा होना*


मानसिक प्रबंधन ही तनाव प्रबंधन है।  वास्तव में विचारो का प्रबंधन है- जिसके अंतर्गत हमें विचारो की सृजनात्मक शक्ति का प्रयोग करना आता है। हमें कौन से विचारो को रखना है और कौन से विचारो को छोड़ना है।


हमें विचारो को ऑन और ऑफ करने के साथ साथ, कौन से विचार को किस तरह सोचना है यह भी आना चाहिए।


👉🏼उदाहरण- जिस विद्यार्थी को पढ़ें तो कैसे पढ़े और सोचें तो कैसे सोचें का ज्ञान होगा, वो भला पढ़ाई को लेकर तनावग्रस्त क्यूं होगा भला?


👉🏼जिस कर्मचारी को यह पता हो कि भाई समस्या झेलने के लिए ही नौकरी मिली है, समस्या ही न होगी तो हमारी जॉब ही चली जायेगी। तो वो तो समस्या देख के कुछ कर गुजरने का सुअवसर, चुनौती रूप में स्वीकारेगा। जिसे समस्या को ठीक कैसे करना आता होगा, समस्या को पहचानना आता होगा, कैसे उस पर चिंतन करना है आता होगा वो भला समस्या के आने पर तनावग्रस्त क्यों होगा भला?


👉🏻 जिस शेयर बाजार इन्वेस्टर को पता है व समझ है कि शेयर बाजार में जितनी तेजी से पैसा बढ़ता है वैसे ही तेजी से घटता भी है। अतः पैसे बढ़ने की ख़ुशी भी बेमानी है व पैसे खोने का गम भी बेमानी है। 


👉🏻वीडियो गेम में कठिनाई न हो और सांप सीढ़ी के गेम में सांप न हो तो बच्चो को खेलने में मज़ा नहीं आता। लेक़िन बड़े होने पर जिंदगी के खेल में कठिनाई पड़ती है तो हम डिप्रेशन में क्यों चले जाते हैं? जिंदगी को बेहतरीन जीना है तो यहां भी खेल भावना की आवश्यकता है। बस जी जान से खेलो। जब सीढ़ी किस्मत की है तो सांप भी तो क़िस्मत का ही अंग है। बस खेलो। शेयर बाज़ार में जब मुनाफे की सीढ़ी चढ़े या शेयर बाजार में जब घाटे का सांप डसे। तो दोनो ही परिस्थितियों में मानसिक संतुलन बनाये रखें। नो रिस्क नो गेन, मोर रिस्क मोर गेन।


एक और सरल उदाहरण समझते हैं, टीवी घर की बिगड़ गयी, आपको ठीक करना नहीं आता आप तनावग्रस्त हो गए। अब बिगड़ी टीवी लेकर आप कुशल मैकेनिक के पास गए, तो वो क्या टेंशन लेगा? नहीं न...वो बड़े आराम से टीवी खोलेगा, उसे ठीक करेगा और आपको हैंडओवर कर देगा। क्योंकि उसे पता है टीवी कैसे ठीक करना है।

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अतः यह सिद्ध होता है कि तनाव का अर्थ हमारी प्रबंधन क्षमता में अकुशलता है, जिस पर तुरन्त काम करने की आवश्यकता है। विचार प्रबंधन और अपने कार्य क्षेत्र में कुशलता से हम तनाव के अस्तित्व को ही मिटा सकते है। तनाव न हो यह सुनिश्चित कर सकते हैं।


नासमझ बच्चों की तरह शेयर बाजार की सांप सीढ़ी के खेल में रोना मत रोइये। अपितु पुनः खेल की बारीकी समझ के यदि साहस है तो खेले नहीं तो खेल बन्द कर दें। यह मकड़जाल लालच से उतपन्न हुआ था, इसे लालच त्याग के समेट लें।


जो हुआ वह बदला नहीं जा सकता, लेकिन हैंडल किया जा सकता है।एक नई शुरुआत की जा सकती है। जहाँ समस्या है समाधान वहीं है।


आधी ग्लास भरी व आधी खाली है। अतः आधी खाली का रोना रोना छोड़कर जो आधी बची है उसे लेकर जीवन मे आगे कैसे बढ़ना है उस पर विचार करें।


अपनी किस्मत के ग्रह नक्षत्र ठीक करने के लिए सवा लाख ग़ायत्री मन्त्र का अनुष्ठान करें।


चन्द्र ग़ायत्री मन्त्र की एक माला नित्य जप के साथ पूर्णिमा के चन्द्रमा का ध्यान करें।


स्वयं की परिस्थिति से उबरने के लिए चिंतन करें।


एक कहानी - एक राजा अपनी हार से हताश गुफा में छुपा था। उसने देखा मकड़ी बार बार दीवार पर चढ़ती गिर जाती मग़र वह हार नहीं मानती। कम से कम 14 से 15 वें प्रयास में वह सफल हो गयी। राजा ने सोचा जब इतने छोटे जीव ने हार नहीं मानी तो मैं  क्यों हार मानू। वह उठा पुनः कई महीनों के प्रयास के बाद अपने राज्य को पुनः पा सका।


आप भी इससे शिक्षा लेकर पुनः स्वयं पर विश्वास करके योजना बनाइये। सफलता अवश्य मिलेगी।


थोड़ा धैर्य रखिये व सकारात्मक चिंतन कीजिये।


👉🏼 विचारों का प्रबंधन सीखने हेतु निम्नलिखित पुस्तक पढ़िये(http:// literature. awgp. org):-


1- विचारों की सृजनात्मक शक्ति

2- प्रबन्ध व्यवस्था एक विभूति एक कौशल

3- व्यवस्था बुद्धि की गरिमा

4- दृष्टिकोण ठीक रखें

5- निराशा को पाद न फटकने दें

6- मानसिक संतुलन

7- शक्तिवान बनिये


🙏🏻श्वेता चक्रवर्ती

डिवाइन इंडिया यूथ असोसिएशन

प्रश्न - *शेयर बाज़ार में किये इन्वेस्टमेंट में भारी नुकसान होने के कारण क्लाइंट को अवसाद हो गया है, उसका मनोबल किस तरह बढ़ाये व उसकी मदद करें। प्रश्न - *शेयर बाज़ार में किये इन्वेस्टमेंट में भारी नुकसान होने के कारण क्लाइंट को अवसाद हो गया है, उसका मनोबल किस तरह बढ़ाये व उसकी मदद करें। Reviewed by Naresh Ji on March 03, 2022 Rating: 5

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