चाणक्य नीति - ऐसे स्त्री और पुरुष हमेशा दुख ही देते हैं...

ऐसे स्त्री और पुरुष हमेशा दुख ही देते हैं...आचार्य चाणक्य ने तीन प्रकार के ऐसे लोग बताए हैं जिनसे किसी भी प्रकार का व्यवहार करने पर दुख ही प्राप्त है। अत: इन लोगों से हमेशा दूर रहना ही बुद्धिमानी है।

चाणक्य कहते हैं-
मूर्खाशिष्योपदेशेन दुष्टास्त्रीभरणेन च।
दु:खिते सम्प्रयोगेण पंडितोऽप्यवसीदति।।



इस श्लोक का अर्थ है कि मूर्ख शिष्य को उपदेश देने पर, किसी व्यभिचारिणी स्त्री का भरण-पोषण करने पर और दुखी व्यक्तियों के साथ किसी भी प्रकार का व्यवहार करने पर दुख ही प्राप्त होता है।

आचार्य कहते हैं कि किसी भी मूर्ख शिष्य या विद्यार्थी को शिक्षा देने का कोई लाभ नहीं है। मूर्ख शिष्य को कितना ही समझाया जाए लेकिन शिक्षक को अंत में दुख ही प्राप्त होता है। किसी कर्कशा, दुष्ट, बुरे स्वभाव वाली, व्यभिचारिणी स्त्री का भरण-पोषण करने वाले व्यक्ति को कभी भी सुख प्राप्त नहीं होता है। ऐसी स्त्रियों का चाहे जितना भी अच्छा किया जाए अंत में व्यक्ति को दुख ही भोगना पड़ता है। इसी प्रकार यदि कोई व्यक्ति दुखी है, विभिन्न रोगों से ग्रस्त है तो उनसे किसी भी प्रकार का व्यवहार करने वाले व्यक्ति को रोग होने की संभावनाएं रहती हैं। अत: इन तीन प्रकार के लोगों से दूर ही रहना चाहिए।
चाणक्य नीति - ऐसे स्त्री और पुरुष हमेशा दुख ही देते हैं...  चाणक्य नीति - ऐसे स्त्री और पुरुष हमेशा दुख ही देते हैं... Reviewed by Naresh Ji on March 03, 2022 Rating: 5

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