श्रीकृष्ण के इन गुणों से सीखें सरताज बनना
हिन्दू धर्म में श्रीकृष्ण को भगवान विष्णु का आठवां अवतार माना गया है। विष्णुपुराण में भगवान के छ: गुण ऐश्वर्य, धर्म, यश, श्री, वैराग्य तथा मोक्ष बताए गए हैं। भगवान श्रीकृष्ण के जीवन, चरित्र और लीलाओं में भी अंनत बल, अनन्त यश, अनन्त ऐश्वर्य, अनन्त श्री, अनन्त ज्ञान और अनन्त वैराग्य प्रकट होता है। श्रीमद्भगवद् गीता में भी श्रीकृष्ण को भगवान कहा गया है।
श्रीमद्भगवद्गीता हिंदू धर्म का पवित्र ग्रंथ है। जीवन, व्यक्तित्व और चरित्र के विकास के लिए गीता के उपदेश अमूल्य है। भगवान श्रीकृष्ण के जीवन की सबसे बड़ी खासियत है - कर्म की निरंतरता। उन्होंने स्वयं अपने आचरण से हमेशा कर्म और दूसरों का कल्याण करने का संदेश दिया। इसीलिए विष्णु के दस अवतारों में से केवल कृष्ण को ही जगद्गुरु कहा गया है।व्यावहारिक जीवन में भी कर्म ही अंतत: सफलता का कारण बनता है, जो किसी भी व्यक्ति को कामयाब और ताकतवर बनाता है। ऐसा व्यक्ति ही समाज में भगवान की छबि रखता है।
श्रीकृष्ण का जीवन भी कर्म से सफलता की प्रेरणा देता है। इसलिए आज भी समाज के हर वर्ग और जाति के लोगों के लिए वे गुरु, सखा, बालक या प्रियतम हैं और श्रीकृष्ण भगवान के रूप में पूजित हैं।
श्रीकृष्ण के इन गुणों से सीखें सरताज बनना
Reviewed by Naresh Ji
on
February 17, 2022
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