सबसे बड़ा मूलमंत्र- कभी भी किसी को भी न बताएं अपनी वैसी बातें
आज के समय में बढ़ती आपराधिक घटनाएं यही बताती हैं कि हमें हमेशा ही सावधान और सर्तक रहना चाहिए। ज्यादातर अपराध जान-पहचान वाले लोगों द्वारा ही किए जाते हैं। अत: हमें ऐसे लोगों को पहचानकर इनसे दूर ही रहना चाहिए। आचार्य चाणक्य बताया है कि-
,
न विश्वसेत् कुमित्रे च मित्रे चापि न विश्वसेत्।
कदाचित् कुपितं मित्रं सर्वगुह्यं प्रकाशयेत्।।
इसका अर्थ है कि अपनी गुप्त बात के लिए किसी पर भी विश्वास नहीं करना चाहिए। यदि कोई मित्र बुरे स्वभाव वाला है तो उस पर तो कभी भी अपनी राज की बातें जाहिर न होने दें। यहां तक कि जो आपके अच्छे मित्र हैं उन्हें भी ऐसी बातें नहीं बताना चाहिए क्योंकि जब उस व्यक्ति से मित्रता बिगड़ जाए तो वह आपको क्षति भी पहुंचा सकता है।
आचार्य चाणक्य कहते हैं कि जो व्यक्ति स्वभाव से अच्छा न हो उस कभी भी भरोसा नहीं करना चाहिए। क्योंकि अधिकांश आपराधिक घटनाओं के पीछे अपनों का ही हाथ होता है। इसी वजह से कहा जाता है कि घर का भेदी लंका ढहाए। यह कहावत आज भी पूरी तरह सत्य है। यदि किसी मित्र को भी अपनी राज की बातें बताई जाती हैं तो यह भी आपके लिए खतरनाक हो सकता है। ऐसे में यदि किसी भी परिस्थिति में उस मित्र से मन-मुटाव या विवाद हो तो वह इन गुप्त बातों का अनुचित लाभ उठाकर आपको नुकसान अवश्य पहुंचाएगा। अत: अपनी गुप्त बातें किसी पर भी जाहिर न करें।
आज के समय में बढ़ती आपराधिक घटनाएं यही बताती हैं कि हमें हमेशा ही सावधान और सर्तक रहना चाहिए। ज्यादातर अपराध जान-पहचान वाले लोगों द्वारा ही किए जाते हैं। अत: हमें ऐसे लोगों को पहचानकर इनसे दूर ही रहना चाहिए। आचार्य चाणक्य बताया है कि-
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न विश्वसेत् कुमित्रे च मित्रे चापि न विश्वसेत्।
कदाचित् कुपितं मित्रं सर्वगुह्यं प्रकाशयेत्।।
इसका अर्थ है कि अपनी गुप्त बात के लिए किसी पर भी विश्वास नहीं करना चाहिए। यदि कोई मित्र बुरे स्वभाव वाला है तो उस पर तो कभी भी अपनी राज की बातें जाहिर न होने दें। यहां तक कि जो आपके अच्छे मित्र हैं उन्हें भी ऐसी बातें नहीं बताना चाहिए क्योंकि जब उस व्यक्ति से मित्रता बिगड़ जाए तो वह आपको क्षति भी पहुंचा सकता है।
आचार्य चाणक्य कहते हैं कि जो व्यक्ति स्वभाव से अच्छा न हो उस कभी भी भरोसा नहीं करना चाहिए। क्योंकि अधिकांश आपराधिक घटनाओं के पीछे अपनों का ही हाथ होता है। इसी वजह से कहा जाता है कि घर का भेदी लंका ढहाए। यह कहावत आज भी पूरी तरह सत्य है। यदि किसी मित्र को भी अपनी राज की बातें बताई जाती हैं तो यह भी आपके लिए खतरनाक हो सकता है। ऐसे में यदि किसी भी परिस्थिति में उस मित्र से मन-मुटाव या विवाद हो तो वह इन गुप्त बातों का अनुचित लाभ उठाकर आपको नुकसान अवश्य पहुंचाएगा। अत: अपनी गुप्त बातें किसी पर भी जाहिर न करें।
चाणक्य नीति - सबसे बड़ा मूलमंत्र- कभी भी किसी को भी न बताएं अपनी वैसी बातें
Reviewed by Naresh Ji
on
February 28, 2022
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