चाणक्य नीति - जो हमारे चिंतन हैं, जिसके विषय में हम सोचते रहते हैं वो इंसान...

जो हमारे चिंतन हैं, जिसके विषय में हम सोचते रहते हैं वो इंसान...
आज के दौर में वैसे तो हमारे आसपास बहुत से लोग रहते हैं। काफी लोगों से प्रतिदिन हमारी मुलाकात भी होती है लेकिन क्या वे सभी आपके करीब हैं? क्या वे लोग आपके सुख-दुख के साथी हैं? क्या वे आपके शुभचिंतक हैं? इन प्रश्नों का उत्तर यही है कि अधिकांश लोग आपके आसपास जरूर रहते हैं लेकिन वे आपके करीब नहीं है।


कभी-कभी ऐसा होता है जो लोग हमसे दूर होते हैं वहीं हमारे सबसे करीब रहते हैं। कौन रहता है हमारे सबसे करीब? इस संबंध में आचार्य चाणक्य के अनुसार हमारे सबसे करीब वहीं इंसान रह सकता है जिसके विषय में हम निरंतर सोचते रहते हैं। जो व्यक्ति लगातार हमारे चिंतन में बना हुआ है वहीं हमारे सबसे करीब है।

चाणक्य की यह बात काफी सटीक है कि हमारे करीब वही व्यक्ति है जो हमारे चिंतन में हैं, जिसके विषय में हम सोचते रहते हैं। फिर वह इंसान वास्तविकता में हमसे बहुत दूर ही क्या न हो, जो व्यक्ति हमारे हृदय के करीब है वही हमारे सबसे करीब रहने वाला इंसान है। हमारे आसपास बहुत से लोग रहते हैं लेकिन वे सभी हमारे करीब हों ऐसा जरूरी नहीं है। जो व्यक्ति हमारे हृदय में नहीं है, हमारे चिंतन में नहीं है वह हमारे करीब हो ही नहीं सकता।
चाणक्य नीति - जो हमारे चिंतन हैं, जिसके विषय में हम सोचते रहते हैं वो इंसान... चाणक्य नीति  - जो हमारे चिंतन हैं, जिसके विषय में हम सोचते रहते हैं वो इंसान... Reviewed by Naresh Ji on February 22, 2022 Rating: 5

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