मांसाहर नहीं, शाकाहार है जीवन का आधार

मांसाहर नहीं, शाकाहार है जीवन का आधार

पूज्य बापूजी वर्षों पूर्व से अपने सत्संगों में बताते आये हैं कि “मांसाहार करने से कितनी हानि होती है | मुर्गा-बकरा खाना, यह-वह खाना .... लोग पेट को श्मशान बना देते हैं | मनुष्य मरते हैं तो कहाँ जाते हैं ? श्मशान में ऐसे ही मुर्गा-बकरा मार के पेट में डाले तो पेट श्मशान हुआ कि नहीं हुआ ? संत पीपाजी कहते हैं :


जिव मार जीमण करे, खाते करे बखान |
पीपा प्रत्यक्ष देख लें, थाली में श्मशान ||

सूअर का मांस या गया का मांस जो लोग खाते हैं न, उनकी बुद्धि आल्लाह, गॉड, भगवान् से बिल्कुल विपरीत हो जाती है | हम लोग तो पहले से कहते आये हैं | गुरु नानकजी ने ५०० वर्ष पहले कहा है :

जे रतु लगै कपडै जामा होइ पलीतु |
जो रतु पीवहि माणसा तिन किउ निरमलु चीतु |

यदि रक्त वस्त्रों को लग जाता है तो वे वस्त्र अपवित्र हो जाते हैं | फिर जो मनुष्य रक्त पीते अर्थात मांसाहार करते हैं उनका चित्त निर्मल कैसे हो सकता है ?

संत कबीरजी ने भी पहले टोका है :

मांस-मांस सब एक है, मुर्गी हिरनी गाय |
आँखि देखि जे खात हैं, सो नर नरकहिं जाय ||

ऋषि-मुनियों ने लाखों वर्ष पहले जो कहा है, अभी विज्ञान अपने ढंग से इस बात को स्वीकारता है :

१] मांसाहार करनेवाले का पाचनतंत्र बिगड़ता है क्योंकि सब्जियों में जो रेशे होते हैं वे मांस में नहीं होते |

२] जीवों को काटते समय वे दु:खी, अशांत होते हैं, खिन्नता व प्रतिशोध से भरे होते हैं तो उनके मांस में भी खिन्नता, प्रतिशोध, भय, अशांति होगी | उस मांस को खानेवाले को भी थोडा-थोडा इनका असर होता रहेगा |

३] मांसाहार से कैंसर होने का खतरा बहुत बढ़ जाता है |

४] मांस पचाने के लिए जठर को ज्यादा मेहनत करनी पडती है, जीवनीशक्ति ज्यादा खर्च होती है |

५] अंडे में जो कोलेस्ट्रॉल होता है उससे ह्रदयाघात और मोटापा होने की सम्भावनाएँ हैं | अंडे के चिकनाहटयुक्त पदार्थ से आँतों की बीमारी होती है |”

अन्य तथ्य
·       अंडा व मांस खाने से रक्त में कोलेस्ट्रॉल कि मात्रा बढ़ जाती है, जिससे ह्रदयरोग, गुर्दे के रोग एव. पथरी होने का खतरा बढ़ जाता है |- नोबेल पुरस्कार विजेता अमेरिकन डॉ. माइकल एस. ब्राउन तथा जोसेफ एल. गोल्डस्टीन

·       अंडे से टी.बी. और पेचिश भी हो जाती हैं | - डॉ. रॉबर्ट ग्रॉस

·       अंडे से अल्सर होता है | - डॉ. जे. एम्. विल्किन्स

मांसहार से विश्व में कई बार जानलेवा वायरस फैले हैं और लाखों लोगों की जान गयी है | आज कोरोनावायरस की महामारी के तांडव पर लोगों को मजबूरी में मांसाहार से परहेज करना पड़ रहा है | चीन को मांस के आयात व उपयोग पर रोक लगानी पड़ी | यदि पूज्य बापूजी जैसे ब्रह्मवेत्ता संतों – महापुरुषों व शास्त्रों की बात मनुष्य पहले ही मान लेता तो विश्वमानव जन-धन की भारी हानि से बच जाता |
मांसाहर नहीं, शाकाहार है जीवन का आधार मांसाहर नहीं, शाकाहार है जीवन का आधार Reviewed by Naresh Ji on February 15, 2022 Rating: 5

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