शर्मिंदा होने से बचना चाहते हैं तो ध्यान रखें ये 4 बातें...आचार्य चाणक्य को उच्चकोटि की राजनीति और कूटनीति के लिए जाना जाता है। उन्होंने कई ऐसी अचूक नीतियां बताई हैं जिनमें जीवन का सारांश छिपा हुआ है। इन नीतियों को अपनाने वाला इंसान जीवन में हर कदम सफलता प्राप्त करता है। हमें किन लोगों के प्रति लगाव रखना चाहिए और किन लोगों से दूर रहना चाहिए। इस संबंध में आचार्य ने बताया है कि-
निद्र्धनं पुरुषं वेश्या प्रजा भग्नं नृपं त्यजेत्।
खगा वीतफलं वृक्ष भुक्तवा चाभ्यागतो गृहम्।।
इस श्लोक का अर्थ है कि यदि कोई बहुत अमीर व्यक्ति किसी वैश्या पर मोहित होकर अपना सबकुछ भी उसे दे तब भी वह उसे छोड़ सकती है। वैश्याओं का काम दूसरों का पैसा लूटना होता है। वे तब तक ही किसी पुरुष के संपर्क में रहती हैं जब तक वह आदमी धनी है। गरीब पुरुष को वैश्या तुरंत छोड़ देती है। इसी प्रकार जिस देश का राजा निर्बल है उसकी राज्य की प्रजा अपने राजा पर भरोसा नहीं करती है और उसे सम्मान नहीं देती है। यहां तक कि पक्षी भी उसी वृक्ष पर निवास करते हैं जहां उन्हें फल प्राप्त होते हैं। समाज का एक नियम यह भी है कि मेहमान अच्छा भोजन, स्वागत-सत्कार के बाद तुरंत अपने लक्ष्य की ओर आगे बढ़ जाते हैं। कहने तात्पर्य यह है कि हमें अपने आत्म सम्मान की रक्षा स्वयं करनी है और अपमान की स्थिति बने इससे पहले हमें संभल जाना चाहिए। किसी भी स्थान विशेष, व्यक्ति, वस्तु से अधिक लगाव रखना उचित नहीं है।
निद्र्धनं पुरुषं वेश्या प्रजा भग्नं नृपं त्यजेत्।
खगा वीतफलं वृक्ष भुक्तवा चाभ्यागतो गृहम्।।
इस श्लोक का अर्थ है कि यदि कोई बहुत अमीर व्यक्ति किसी वैश्या पर मोहित होकर अपना सबकुछ भी उसे दे तब भी वह उसे छोड़ सकती है। वैश्याओं का काम दूसरों का पैसा लूटना होता है। वे तब तक ही किसी पुरुष के संपर्क में रहती हैं जब तक वह आदमी धनी है। गरीब पुरुष को वैश्या तुरंत छोड़ देती है। इसी प्रकार जिस देश का राजा निर्बल है उसकी राज्य की प्रजा अपने राजा पर भरोसा नहीं करती है और उसे सम्मान नहीं देती है। यहां तक कि पक्षी भी उसी वृक्ष पर निवास करते हैं जहां उन्हें फल प्राप्त होते हैं। समाज का एक नियम यह भी है कि मेहमान अच्छा भोजन, स्वागत-सत्कार के बाद तुरंत अपने लक्ष्य की ओर आगे बढ़ जाते हैं। कहने तात्पर्य यह है कि हमें अपने आत्म सम्मान की रक्षा स्वयं करनी है और अपमान की स्थिति बने इससे पहले हमें संभल जाना चाहिए। किसी भी स्थान विशेष, व्यक्ति, वस्तु से अधिक लगाव रखना उचित नहीं है।
चाणक्य नीति - शर्मिंदा होने से बचना चाहते हैं तो ध्यान रखें ये 4 बातें.
Reviewed by Naresh Ji
on
March 03, 2022
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